SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 330
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कातन्त्रव्याकरणम् जबकि पाणिनि ने क्रियाफल के कर्तृगामी होने पर आत्मनेपद का निर्देश किया है । इसके फलस्वरूप क्रियाफल के परगामी होने पर परस्मैपद प्रवृत्त होता है । तदनुसार विद्वान् संकल्प करते समय क्रियाफल के कर्तृगामी होने पर 'करिष्ये' इस आत्मनेपद का क्रियापद पढ़ते हैं, परन्तु फल के परगामी होने का स्थिति में 'करिष्यामि' इस परस्मैपद के क्रियापद को पढ़ते हैं । आख्यातपदों का व्यापक व्यवहार देखने पर पाणिनिकृत विभाग समीचीन प्रतीत नहीं होता, क्योंकि 'वृक्षं परिवारयन्ते कण्टकाः ' आदि प्रयोगों में परिवारण क्रिया का फल कण्टकों को कभी प्राप्त नहीं होता, अतः वहाँ आत्मनेपद का व्यवहार नहीं होना चाहिए, लेकिन प्रयोग केवल आत्मनेपद का ही किया जाता है । इस विषय में कलापचन्द्रकार सुषेण विद्याभूषण का लेख द्रष्टव्य है, जिसमें कुलचन्द्र आदि के मत उद्धृत किए गए हैं। [विशेष वचन ] २८४ १. समाहारानुबन्धा ये ते यजादयः (दु० वृ० ) । २. अफलवति कर्तर्यात्मनेपदं च दृश्यते । फलवति कर्तरि परस्मैपदं च दृश्यते (दु० वृ०) । *****. ३. गणकारवचनप्रमाणार्थमिदम् ( दु० वृ० ) । ४. फलवति कर्तर्यात्मनेपदम्, अन्यत्र च परस्मैपदम् अन्यो ब्रूते । तदयुक्तमित्याह – अफलवतीत्यादि (दु० टी० ) । ५. . महाकविभिश्चाविशेषेणैव निबद्धम् - 'तवात्मयोनेरिव किं न धत्ते' इत्यादि (दु० टी० ) । ६. कश्चित् फलवति कर्तर्यात्मनेपदम्, अफलवति कर्तरि परस्मैपदम् इति ब्रूते । तदिह न वक्तव्यम्, व्यभिचारादित्याह - अफलवतीत्यादि (वि० प० ) । ७. महाकविनिबद्धः प्रयोगश्च दृश्यते । यथाह भारविः - 'तव दर्शनं किं न धत्ते' इति (वि० प० ) । ८. इदानीमात्मनेपदविषये परस्मैपदं दर्शयन् परस्योभयथापि व्यभिचारमाह - फलवतीत्यादि (वि० प० ) । ९. पदसंस्कारकं हि व्याकरणम् (वि० प० ) । १०. येषामेव धातूनां गणकृतोभयतोभाषत्वमुक्तम्, तेषामेव सूत्रकृताऽप्युभयपदं विधीयते इति । एकसंवादनिबन्धनं गणकारवचनस्य प्रामाण्यं यथा स्यादित्यर्थः ( वि० प० ) ।
SR No.023089
Book TitleKatantra Vyakaranam Part 03 Khand 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJankiprasad Dwivedi
PublisherSampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay
Publication Year2000
Total Pages564
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy