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________________ प्राकृत प्राकृत वैयाकरणों की प्राकृत संबंधी व्युत्पत्ति ___ यह बहुत सामान्य तरीके की प्राकृत का अर्थ हुआ (जैसे-शौरसेनी-पाउड, महाराष्ट्री-पाउअ)। कुछ लोग प्राकृत का अर्थ परिष्कृत संस्कृत से परिष्कार किया हुआ मानते हैं। अलंकार शास्त्री और परवर्ती प्राकृत वैयाकरण प्राकृत को संस्कृत प्रकृति से लिया गया-परिष्कार की गई भाषा मानते हैं। परवर्ती काल के वैयाकरण एवं अलंकारशास्त्रियों ने प्राकृत को संस्कृत से लिया गया माना है। कतिपय प्राकृत-व्याकरणों में प्राकृत शब्द की व्युत्पत्ति इस तरह की गई हैप्रकृतिः संस्कृतं, तत्रभवं तत आगतं वा प्राकृतम्। (हेम० प्रा० व्या०) प्रकृतिः संस्कृतं तत्रभवं प्राकृतं उच्यते। (प्राकृत सर्वस्व) प्रकृतिः संस्कृतं तत्र भवत्वात् प्राकृतं स्मृतम् (प्राकृत चन्द्रिका) प्रकृतेः संस्कृतायास्तु विकृतिः प्राकृती मता। (षड्भाषा चन्द्रिका) प्राकृतस्य तु सर्वमेव संस्कृतं योनिः। (प्राकृत संजीवनी) इन व्युत्पत्तियों का तात्पर्य यह है कि प्राकृत शब्द प्रकृति से बना है, 'प्रकृति' का अर्थ है संस्कृत भाषा, संस्कृत भाषा से जो उत्पन्न हुई है-वह प्राकृत भाषा। यह व्याख्या बौद्धिक जरूर है फिर भी इस व्याख्या में ऐतिहासिक तथ्य का अभाव है। व्यावहारिक दृष्टि से हम संस्कृत को ही मूल आधार मानकर उसी से प्राकृत शब्दों की व्युत्पत्ति तथा सिद्धि करते हैं। प्राकृत के 95 प्रतिशत शब्दों की व्युत्पत्ति का पता संस्कृत से चलता है। दूसरा कारण यह है कि प्राकृत के कुछ वैयाकरण हेमचन्द्र और क्रमदीश्वर इसे संस्कृत व्याकरण का पूरक बनाते हैं और तीसरा कारण यह है कि सभी प्राकृत के व्याकरण संस्कृत में लिखे गए हैं। ये सभी तथ्य प्रमाणित करते. हैं कि प्राकृत भाषा की उत्पत्ति संस्कृत से
SR No.023030
Book TitleHemchandra Ke Apbhramsa Sutro Ki Prushthabhumi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamanath Pandey
PublisherParammitra Prakashan
Publication Year1999
Total Pages524
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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