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________________ 194 हेमचन्द्र के अपभ्रंश सूत्रों की पृष्ठभूमि गया है उनका संकलन नहीं हुआ है जैसे प्रा० व्या० 4/389 'क्रिये' का ‘कीस' आदेश होता है; (4/390 में) भू का हुव्व आदेश आदि देशी नाममाला में नहीं पाए जाते । परन्तु इन धात्वादेशों के आगे देशी शब्द का प्रयोग किया भी नहीं गया है। 'कीसु' का द्वितीय रूप ‘क्रिये' संस्कृत माना गया है। किन्तु 8/4/395--तक्ष्यादीनां छोल्लादयः सूत्र की वृत्ति में कहा गया है कि आदि ग्रहणाद देशीष ये क्रियावचना उपलभ्यंते ते उदाहार्याः। पी० एल० वैद्य ने 'तक्ष' के स्थान पर 'छोल्ल' आदेश को देशी माना है। देशी नाम माला में 'छोल्ल' नाम का कोई आदेश नहीं है। परन्तु उसी सूत्र का दूसरा उदाहरण 'चूडल्लउ' देशी अपभ्रंश (दे० ना० मा० वर्ग 3, श्लोक 18) चूडोवलयावली कंकण अर्थ है। यहाँ उल्ल प्रत्यय होकर, स्वार्थिक क = अ को उ होकर 'चूडुल्लउ' बना है। 'झलक्किअउ' = झल्ल, झालणे झलक्क धातु 'तापय' के भाव में प्रयुक्त हुआ है। देशी नाममाला-3/53 में झला-मृगतृष्णा; 3/56 में झलकि-दग्धम् के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है। 'अभडवंचिउ' में गम के अर्थ में 'अब्भड' है। दे० ना० मा० में अब्भड कोई शब्द नहीं है पर 'अबडओ' (1,20,53 में) तृण पुरुष के लिए, कूप या आराम अर्थ में भी प्रयुक्त हुआ है जिसका 'अभडवंचिउ' से कोई संबंध नहीं दीखता। 'खुडुक्कइ' का (देशी नाममाला 2/74) खुडं-लघु अर्थ में; 2/75 'खुड्डियं' सुरतम् के अर्थ में, 2/76-खुडुक्कडी प्रणयकोप के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है। 'खुड' शब्द से उक्क प्रत्यय करके भी 'खुड्डुक्कइ' रूप बन सकता है। घुडुक्कइ दे० ना० मा० में ऐसा कोई शब्द नहीं है। 'चम्पिज्जइ' भी देशी शब्द है जो कि दे० ना० मा० में नहीं है। 'वप्पी' 6/88 'सुभट' और 'पिता' के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है। 'धुठुअइ' या 'धु अइ' ध्वनि के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है। 8/4/401 "वद्दलि' मेघ के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है। पी० एल० वैद्य वद्दल या बादल को मराठी का शब्द मानते हैं। हिन्दी में भी यही प्रचलित है। लुक्कु-लुकना छिपने के अर्थ में दे० ना० मा० 7/23 में लुको-सुप्त या उत ओति लोकोइति च के अर्थ में प्रयुक्त होता है। यह शब्द भोजपुरी और मगही बोली में प्रचलित है। 8/4/422शीघ्रादीनां बहिल्लादयः वाले आदेश को पी० एल० वैद्य ने देशी माना
SR No.023030
Book TitleHemchandra Ke Apbhramsa Sutro Ki Prushthabhumi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamanath Pandey
PublisherParammitra Prakashan
Publication Year1999
Total Pages524
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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