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________________ अपभ्रंश भाषा 161 27. 24. 'खीरीणियाओ गावीओ', गोणं वियालं (आचार-2/4/5), णगर गावीओ विपा० 1,2-पत्र 26-आदि। 25. 'अपभ्रंश काव्यत्रयी' भूमिका पृ० 73 । 26. भविसयत्तकहा' की भूमिका पृ० 47। त्रिविधं तच्च विज्ञेयं नाट्ययोगे समासतः । समान शब्दैविभ्रष्टं देशी मतमथापि वा। गच्छन्ति पदन्यस्ता ते विभ्रमा (ष्टा) इति ज्ञेयाः-ना० शा० 17/2-4 28. एच० स्मिथ-डेसिनेंसेस ड्यु टाइप अपभ्रंश इन पालि बी एस एल 33, 169-72 (1932)। 29. हि० ग्रा० अप० द्वारा उद्धृत, हिस्टोरिकल ग्रामर आफ अपभ्रंश $1-डा० जी बी० तगारे, पूना 1948 । 30. "भाषा संस्कृतापभ्रंशः, भाषापभ्रंशस्तु विभाषा सा तत्तद्देश एव गहरवासिनां प्राकृतवासिनां च, एता एव नाट्ये तु।" (भरत नाट्य शास्त्र-17-48 पर अभिनव भारती) 31. "संस्कृत प्राकृतापभ्रंश भाषात्रय प्रतिबद्ध प्रबन्धरचना निपुणतरान्तः करणः इत्यादि' (वलभी के धारसेन द्वितीय का दान पत्र) इन्डियन एंटिक्वेरी, भाग 10 अक्टूबर 1881, पृ० 277 । 33. “ए हिस्ट्री आफ संस्कृत लिटरेचर' वो० 1, पृ० 529, कलकत्ता विश्वविद्यालय 1962, ले०-एस० एन० दास गुप्ता। तदेतत् वाङमयं भूयः संस्कृतं प्राकृतं तथा। अपभ्रंशश्च मिश्रं चेत्याहुरार्याश्चतुर्विधम् ।। काव्यादर्श-1/32 संस्कृतं नाम दैवी वागन्वाख्याता महर्षिभिः । तद्भवस्तत्समो देशीत्यनेकः प्राकृत क्रमः। वही 1/33 आभीरादि गिरः काव्येषु अपभ्रंश इति स्मृतः । शास्त्रेषु संस्कृतादन्यदपभ्रंश तयोदितम् ।। वही 1/36
SR No.023030
Book TitleHemchandra Ke Apbhramsa Sutro Ki Prushthabhumi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamanath Pandey
PublisherParammitra Prakashan
Publication Year1999
Total Pages524
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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