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________________ मुक्त-कंट से प्रशंसा की। जनताने वधाईयों के साथ इसको हाथों-हाथ खरीदा। फलतः इसक कई संस्करण निकले। सन् १९६२ में इसका तृतीय संस्करण निकला और अब शीघ्र ही चतुर्थ संस्करण निकलने वाला है। तृतीय संस्करणमें उसी कला के चित्रों के साथ १५ चित्र ओर सम्मिलित कर ४८ चित्रों का संपुट प्रकाशित किया। इन चित्रों के साथ ही १२ परिशष्ट भी दिये गये, जिसमें भगवान महावीर के २६ पूर्वभवों का विशिष्ट परिचय. बिहार स्थल. कुटुम्ब परिचय, चातुर्मासा का क़म, स्थल, समय, चातुर्मास सूची, विशिष्ट तप, विशिष्ट उपसर्ग, भक्त राजागण, पाँच कल्याणक, भगवान महावीर के विविध नाम एवं अन्य स्फुट ज्ञातव्य विषयों की जानकारी दी है। परिशिष्ट १२ मे श्वेताम्बर और दिगंवरों के मध्य भगवान महावीर के सम्बन्ध में जो मान्यता भेद है, उसका भी दिग्दर्शन कराया गया। वे परिशिष्ट भी तीनों भाषाओं में दिये गये हैं। प्रत्येक चित्र परिचय के साथ १४४ प्रतीकों का भी परिचय दिया गया है, जिसमें ऊँ, ही, गजमुख, कलश, शहनाईवादन, नर्तकी, पद्यावती. लक्ष्मी, सरस्वती, जैन मुनि, श्रावक-श्राविका, जिनमन्दिर, ज्ञान, दर्शन, चारित्र, पंच परमष्टी, साध के उपकरण, छत्रत्रय, मद्राएँ, नंद्यावर्त, श्रीफल, शतदल, कमल, धर्मचक्र. अप्टमंगल आदि का सिद्धान्त संमत सारगर्भित परिचय इसमें दिया गया है। इनमें ८० पट्टिकाओं के साथ १६६ प्रतीकों के जो चित्र और परिचय दिये गये हैं, जो आज तक कहीं भी एक स्थान पर चित्रों के साथ प्रकाशित नहीं हुए थे। इस प्रकार देखा जाये तो यह ४८ चित्रों का सम्पट अभतपर्व प्रकाशन है। आचार्यश्री ने श्री कापडिया के सहयोग से चित्र-कला जगत: । में जो अवदान दिया है, वह शताब्दियों तक भुलाया नहीं जा सकता। इस पुस्तक में पेपर कटिंग के २ चित्र दिये गये हैं--१. शक्रस्तवः जिससे शास्त्रीय हातलिपि का भी ज्ञान होता है और २. सिद्धचक्र के माहात्म्य को प्रदर्शन करने वाला पंच परमेष्ठी के चित्र भी सम्मिलित किये गये हैं। साथ ही सिद्धचक्र और ऋषिमण्डल महायंत्रों के पृथक्-पृथक् रंगोन चित्र भी दिये गये है, जो कि आज पूजा-विधिकारकों के लिए अत्यन्त ही उपादेय हैं और इन्हीं यंत्रों की स्थापना करके पूजा-विधि भी कराते हैं ! इसी प्रकार सन् १६८६ मे एक पुस्तक और प्रकाशित हुई थी, जिसका नाम था भगवान श्री वर्धमान-महावीर जीवनदर्शन चित्रों मां तथा दर्शनीय अन्य चित्रो! आचार्यश्री के अन्य सहयोगी चित्रकार थे-श्री जगन्नाथभाई, श्री गोकुल भाई और श्री दी० एल: दीक्षित • इस चित्रावली में भगवान महावीर के बाल्यावस्था के चित्र हैं और अन्य चित्रों पर परमेष्ठी हीकार में पद्मावतो, मणिभद्र यक्ष, सरस्वतीदेवी, पीपल के पत्रों में १. भगवान महावी, २. चण्डकोशिक प्रतिबोध, ३. महावीर और चन्दनवाला, ४. ध्यानावस्था में भगवान महावीः । ५. भगवान महावीर का निर्वाण, ६. भगवान महावीर को केवलज्ञान, ७. भगवान श्वनाथ
SR No.022874
Book TitlePrastavana Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashodevsuri
PublisherMuktikamal Jain Mohanmala
Publication Year2006
Total Pages850
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size28 MB
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