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________________ ब्रह्मचारी सीतलप्रसाद ने भी समय-समय पर मुरादाबाद पधार कर जैन समाज को देश सेवा करने हेतु प्रेरित किया । उनके मुरादाबाद दौरे से सम्बन्धित समाचार सभी राष्ट्रीय अखबारों में प्रकाशित होते थे । 'आज' का एक समाचार था 'मुरादाबाद में सभा' (शीर्षक) कल टाऊनहॉल में एक सार्वजनिक सभा हुई । बाबूलाल जैन ने सभापति का आसन ग्रहण किया था । उपस्थिति काफी थी। ब्रह्मचारी सीतलप्रसाद ने अहिंसा और स्वदेशी पर लगभग दो घंटे तक व्याख्यान दिया। लोगों पर भाषण का बहुत अधिक प्रभाव पड़ा। 59 फर्रूखाबाद जिले में असहयोग आन्दोलन का बहुत प्रभाव पड़ा। सरकारी न्यायालयों और शिक्षा संस्थाओं का बहिष्कार किया गया। फर्रूखाबाद जिले के कस्बों फतेहगढ़, कम्पिल, शमशाबाद, कन्नौज, इन्दरगढ़ के नागरिकों ने भी इस आन्दोलन में बढ़-चढ़कर भाग लिया। स्थानीय नेताओं ने बैठकों को सम्बोधित करते हुए स्वदेशी और स्वराज्य का प्रचार किया। 50 फर्रूखाबाद में हुए राजनीतिक सम्मेलन की अध्यक्षता श्रीमती सरोजनी नायडू ने की थी और उसी दौरान पं. जवाहरलाल नेहरू और श्रीमती कमला नेहरू भी जिले में पधारे थे । असहयोग आन्दोलन के दौरान फर्रुखाबाद के लगभग चार दर्जन व्यक्तियों को जेल और जुर्माना भोगना पड़ा। 2 जैन समाज ने भी असहयोग आन्दोलन में अपना सहयोग दिया । प्यारेलाल जैन, छदामीलाल जैन, आत्माराम जैन, लल्लूमल जैन, दरबारीलाल जैन, दिलसुखराय जैन, वंशीधर जैन, अनोखेदयाल जैन आदि उस समय जैन समाज के प्रमुख मुखिया थे । उन्होंने सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पास किया कि जैन समाज अपने किसी मुकदमे आदि के सिलसिले में सरकारी न्यायालयों का प्रयोग नहीं करेगा और सभी फैसले समाज की पंचायत में ही सुलझाये जायेंगे 163 जिला इटावा के जैन समाज ने भी असहयोग आन्दोलन में भाग लिया । असहयोग आन्दोलन का समर्थन करने हेतु 29 दिसम्बर, 1920 को अहमदाबाद में होने वाले ‘जैन राजनीतिक सम्मेलन' में इटावा के सूरजभान जैन ने भी अपने साथियों के साथ भागीदारी की थी।" वहाँ से लौटकर सूरजभान जैन और उनके संगठन ने इटावा में घर-घर जाकर असहयोग आन्दोलन का प्रचार किया । इटावा के कुँवर दिग्विजयसिंह भी इस आन्दोलन में सक्रिय होकर जुट गये 1 उन्होंने इटावा में कांग्रेस को मजबूत बनाकर अंग्रेजी सरकार को कड़ी चुनौती दी। उनकी भाषण शैली भी विशेष प्रभावपूर्ण थी, जिसका प्रभाव इटावा के साथ-साथ अन्य जिलों भी पड़ता था। आगरा में उनका भाषण विशेष रूप से सराहा गया था। श्री जैन असहयोग आन्दोलन में भाग लेने के कारण लम्बे समय जेलों में भी रहे । उ.प्र. सूचना विभाग के अनुसार कुँवर दिग्विजय सिंह विधिपुरा इटावा असहयोग 58 :: भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में उत्तरप्रदेश जैन समाज का योगदान
SR No.022866
Book TitleBhartiya Swatantrata Andolan Me Uttar Pradesh Jain Samaj Ka Yogdan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmit Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2014
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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