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________________ आदि का बहिष्कार तथा हिन्दू-मुस्लिम एकता की गूंज के साथ चर्खा, खादी और स्वदेशी की भावना का पर्याप्त प्रचार हुआ। जैन समाज के द्वारा भी उपरोक्त आन्दोलनों में भागीदारी की गयी। लाला नारायणदास जैन, प्यारेलाल जैन, लाला बालकिसनदास जैन, गोपालदास जैन, भजनलाल जैन, लाला श्यामलाल जैन, महोलाल जैन, मोतीलाल जैन आदि ने संगठन बनाकर खादी का प्रचार किया तथा जैन मंदिरों में विदेशी वस्त्र पहनकर आने पर पाबंदी लगा दी। ब्रह्मचारी सीतलप्रसाद की प्रेरणा से मैनपुरी के जैन समाज ने चर्खा चलाने हेतु विशेष प्रबन्ध किये तथा जैन विद्यार्थियों ने सरकारी स्कूलों में जाना छोड़ दिया। मुरादाबाद जिले में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की गतिविधियाँ सन् 1921 में तेज हो गयी। जनता ने असहयोग आन्दोलन में भाग लिया और 24 लोग गिरफ्तार किये गये। मुरादाबाद में खिलाफत एवं असहयोग आन्दोलन सम्बंधी पकड़-धकड़ सन् 1921 के अन्त में शुरू हुई, जो सन् 1922 तक किसी न किसी रूप में चलती रही। मुरादाबाद जैन समाज के गैंदनलाल जैन, हकीम टेकचन्द जैन, सिपाहीलाल जैन, केशोशरण जैन आदि जैन नागरिकों ने आगे आकर देश सेवा की प्रतिज्ञा ली। 'जैन संदेश' ने अपने एक अंक में लिखा-मुंशी गैंदनलाल जैन ने उस समय समाज सुधार के अनेक कार्य किये, जिस युग में समाज सुधार का कार्य करने वाले विद्रोही समझे जाते थे। श्री जैन मुरादाबाद की 'जैन सेवा समिति' के प्रमुख थे तथा देश के दीवाने थे। गुलाम देश की दयनीय दशा देखकर सन् 1921 में उनके हृदय में ज्वाला फूट पड़ी और वे राष्ट्रीय आन्दोलन में कूद पड़े। पूज्य बापू ने आह्वान किया, रणभेरी की ध्वनि सुनी और श्री जैन जी-जान से राष्ट्रीय महासंग्राम में जुट गए। हकीम टेकचन्द जैन मुरादाबाद के डयोंढ़ी ग्राम के रहने वाले थे, उन्होंने देशभक्तों की चिकित्सा का कार्य सम्भाला। उनके राष्ट्रीय विचारों से अनेक लोग प्रभावित हुए। श्री जैन बाद के आन्दोलनों में जेल गये तथा सदैव गाँधी जी के सूत्रों पर चलते रहे। सिपाहीलाल जैन मुरादाबाद के राजथल ग्राम के रहने वाले थे। उन्होंने सन् 1921 के असहयोग आन्दोलन से ही राष्ट्रीय जीवन का प्रारम्भ किया। मुरादाबाद आकर उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा खोला। 'जैन संदेश' के अनुसार सिपाही लाल जैन 50 ग्रामों के मण्डल के प्रधान रहे तथा राष्ट्रीय महासभा की प्रत्येक योजनाओं को कार्यान्वित करने में उनका प्रमुख योगदान रहा। केशोशरण जैन ने भी तन-मन-धन से इस आन्दोलन में योगदान दिया। उनके विषय में जैन संदेश ने अपने तत्कालीन अंक में लिखा-लाला केशोशरण सुवर्ण की तरह तपे हुए एक उत्कृष्ट देश सेवी हैं। उनका निवास मुरादाबाद से 15 मील दूर हरियाना ग्राम है। वे कांग्रेस के प्रत्येक आन्दोलन में जेल गये। असहयोग आन्दोलन और जैन समाज की भूमिका :: 57
SR No.022866
Book TitleBhartiya Swatantrata Andolan Me Uttar Pradesh Jain Samaj Ka Yogdan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmit Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2014
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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