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________________ यथावत् व्याख्यान हो रहे हैं, उनके एक व्याख्यान से प्रभावित होकर कई लोगों ने विदेशी टोपियां जला दी । 47 उस समय सेठ जी के प्रयासों से कांग्रेस की बड़ी बैठकें भी आगरा के जैन मंदिरों व धर्मशालाओं में आयोजित की जाती थी । 'आज' का समाचार था - ' आगरे में अधिवेशन' (शीर्षक) संयुक्त प्रान्तीय कांग्रेस कमेटी की दूसरी बैठक आगामी शनिवार दिनांक 10 सितम्बर को 12 बजे दिन में जैन धर्मशाला रोशन मौहल्ला आगरा में होगी। प्रबन्धकारिणी समिति की बैठक भी उसी स्थान और समय पर शुक्रवार 9 सितम्बर को होगी। इस प्रकार जैन समाज के सक्रिय योगदान के कारण आगरा ने पूरे संयुक्त प्रान्त के आन्दोलनों का नेतृत्व किया । 1 नवम्बर 1921 में ब्रिटेन के युवराज भारत आये । अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने उनके बहिष्कार करने का निर्णय लिया। 19 आगरा में शहजादे को ताजमहल, एत्माद्दौला, सिकन्दरा, लाल किला आदि दिखाने के लिए कार द्वारा ले जाया गया। शहजादे जहाँ-जहाँ भी गये, वहीं वायुमण्डल 'प्रिंस ऑफ वैल्स गो बैक' के नारों से गूँज उठा और अंग्रेज अधिकारियों के रंग में भंग पड़ गया। उस समय नगर कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष सेठ अचलसिंह के नेतृत्व में ही यह बहिष्कार कार्यक्रम सफलता पूर्वक सम्पन्न हुआ था । 50 I आगरा निवासी मानिकचन्द जैन भी असहयोग आन्दोलन के दौरान सक्रिय रहे। ब्रिटिश सरकार ने उन पर 'जाल' का अभियोग लगाया, परन्तु वे उससे बच गये। इस सन्दर्भ में 'आज' ने लिखा- 'दिनांक 30 अप्रैल को बाबू मानिकचन्द जैन जिन पर जाल का अभियोग लगाया गया था, सेशन जजी से छोड़ दिये गये हैं । '51 एटा जिले में असहयोग आन्दोलन के तहत नागरिकों ने सरकारी सेवाओं का बहिष्कार किया। बच्चों ने अंग्रेजी और सरकारी स्कूलों में जाना बंद कर दिया, न्यायालयों का काम ठप्प हो गया । 2 सन् 1921 के आस-पास जवाहरलाल नेहरू भी कासगंज (एटा) आये । उन्हें यहाँ जिला कांग्रेस कमेटी का प्रधान बनाया गया । सम्भवतः एटा जिला ही पहला जिला था, जिसने जवाहरलाल नेहरू को पहले-पहल अपना अध्यक्ष चुना था ।" इस प्रकार एटा में राष्ट्रीय आन्दोलन जोर-शोर से चल रहा था। दामोधरदास जैन, दिलसुखराय जैन, फूलचंद जैन, पद्मचंद जैन, जीवाराम जैन, गुलजारीलाल जैन, पारसदास जैन, कालिकाप्रसाद जैन आदि उस समय एटा जैन समाज के प्रसिद्ध व्यक्तियों में थे। इन सभी ने असहयोग आन्दोलन के दौरान अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में भेजना बंद कर दिया। 1922 में एटा के नागरिकों द्वारा पंडित मोतीलाल नेहरू को रुपयों की थैली भेंट की गयी, जिसमें जैन समाज ने बढ़-चढ़कर आर्थिक सहयोग दिया । मैनपुरी में असहयोग आन्दोलन के दौरान वकालत, अदालत, सरकारी स्कूल 56 :: भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में उत्तरप्रदेश जैन समाज का योगदान
SR No.022866
Book TitleBhartiya Swatantrata Andolan Me Uttar Pradesh Jain Samaj Ka Yogdan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmit Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2014
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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