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________________ से 13 जुलाई 1943 तक मेरठ जेल में रहे। इस केस को ‘मेरठ बम केस' के नाम से जाना जाता है। मेरठ जिले के अंतर्गत आने वाले अमीनगर सराय, छपरौली, सरधना, राड़धना, करनावल तथा मवाना में भी जैन समाज ने आगे आकर भारत छोड़ो आन्दोलन में भागीदारी की। शीतलप्रसाद जैन ने अमीनगर सराय में इस आन्दोलन का नेतृत्व किया। वहाँ के कार्यकर्ताओं पर उनका अच्छा प्रभाव था। सरकार ने उन पर जुर्माना लगा दिया। जुर्माना वसूल करने के लिए पुलिस उनके आवास पर पहुंची। उन्होंने जुर्माना देने से साफ इंकार कर दिया। पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर रही थी कि वहाँ के सैकड़ों लोगों ने मौके पर पहुँचकर पुलिस का विरोध किया और बड़ा जर्बदस्त प्रदर्शन किया। पुलिस ने क्रोधित होकर लोगों की पिटाई करनी शुरू कर दी और तुरन्त ही गोली चला दी। भीड़ में शामिल शंकर उर्फ नन्हें नाम का व्यक्ति घटनास्थल पर ही शहीद हो गया। अन्य कार्यकर्ता बुरी तरह घायल हो गये। इस घटना के दूसरे दिन अंग्रेजी पुलिस ने फिर अपना दमनचक्र चलाया। शीतलप्रसाद जैन सहित 87 कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को पुलिस ने पकड़ लिया और गिरफ्तार करके मेरठ जेल भेज दिया। छपरौली में भगवानदास जैन ने इस आन्दोलन में भाग लिया और 3 मास कैद की सजा पायी। श्री जैन इससे पूर्व 1940 के व्यक्तिगत सत्याग्रह में शामिल होने के कारण 6 महीने जेल में रह चुके थे। छपरौली के सुमतप्रसाद जैन ने भी इस आन्दोलन में भाग लेने के कारण जेल यात्रा की। सरधना में मेहरचन्द जैन ने अपने साथियों के साथ भारत छोड़ो आन्दोलन में दिन-रात काम किया। उन्होंने सरकारी सम्पत्ति को नष्ट करने में अहम् भूमिका निभाई। उ.प्र. सूचना विभाग के अनुसार श्री जैन ने तोड़-फोड़ के कार्यों में अत्यधिक भाग लिया। जिसके कारण सरकार ने उन्हें क्रांति का मुख्य अभियुक्त मानते हुए भारत रक्षा कानून की धारा 38/35 के अंतर्गत 3 वर्ष कड़ी कैद की सजा दी। उनके साथी चेतनलाल जैन को भी जेल भेज दिया गया। सरधना की भाँति ही राडधना के जनेश्वरदास जैन ने इस आंदोलन में पूर्ण समर्पण के साथ कार्य किया। उन्होंने घर-घर तिरंगा झण्डा फहरा दिया और सरकारी डाकखाने में आग लगा दी। शीघ्र ही अंग्रेज अधिकारियों ने उन्हें गिरफ्तार करने के लिए पुलिस दल को राडधना भेजा। प्रत्यक्षदर्शी श्री सुभाष जैन के अनुसार उन्हें पकड़ने के लिए 150 पुलिस के जवान आये थे और सभी शस्त्रों से लैस थे। पुलिस ने 1 घंटे तक उन्हें पकड़ने के लिए संघर्ष किया। वे निरंतर 'भारत माता की जय' और 'अंग्रेजों भारत छोड़ो' के नारे लगा रहे थे, अंत में श्री जैन को गिरफ्तार कर लिया गया। 126 :: भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में उत्तरप्रदेश जैन समाज का योगदान
SR No.022866
Book TitleBhartiya Swatantrata Andolan Me Uttar Pradesh Jain Samaj Ka Yogdan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmit Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2014
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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