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________________ भारत रक्षा कानून की धारा 39(6) के अंतर्गत 18 मास कड़ी कैद की सजा पायी।" आन्दोलन के दौरान त्रिलोकचंद जैन ने अपने साथी अरूण गुप्त, जयप्रकाश और श्यामलाल के साथ रात में जाकर डी.ए.वी. कॉलेज पर तिरंगा लहरा दिया। प्रातःकाल इस घटना का पता चलते ही अंग्रेज कलक्टर जे.वी. लिंच के होश उड़ गये। उसने कॉलेज के प्रबंधक हीरालाल व हैडमास्टर किशोरी लाल को बुलाकर तुरन्त झंडा उतारने का निर्देश दिया। प्रबंधक ने जाकर तिरंगा हटवाना चाहा, परन्तु छात्र नहीं माने, अंत में सहमति बनी कि तिरंगा स्कूल में नवनिर्मित जिमनेजियम हाल पर फहराया जायेगा।" श्री त्रिलोकचंद जैन के अनुसार छात्रों की यह जीत तत्कालीन परिस्थितियों में ऐतिहासिक रही। मेरठ जिले के जैन समाज द्वारा इस आन्दोलन में सक्रिय भाग लिया गया। 10 अगस्त, 1942 को अंग्रेजी पुलिस ने मेरठ के सभी प्रमुख कार्यकर्ताओं एवं नेताओं को गिरफ्तार कर लिया। जैन समाज के कई देशभक्त स्वयंसेवकों को भी पुलिस ने बन्दी बना लिया तथा उन्हें जेलों में मनमानी यातनायें दी गयी। सदर बाजार मेरठ निवासी जैनदत्तप्रसाद जैन इस आन्दोलन में भाग लेने के कारण चार महीने जेल में रहे, उन पर 50 रुपये का जुर्माना भी किया गया। विक्टोरिया पार्क निवासी अमीचन्द जैन, सदर निवासी सुमतप्रसाद जैन, नेहरूनगर निवासी गिरिलाल जैन, रूपचंद जैन, फतेहपुर पूठी निवासी नैनचन्द्र जैन ने भी इस आन्दोलन में सक्रिय भाग लिया और जेल यात्रायें की। ___13 नवम्बर, 1942 को मेरठ के क्रांतिकारियों द्वारा सी.एम.ए. (कंट्रोलर ऑफ मिलिट्री एकाउन्ट्स) कार्यालय मेरठ के रिकॉर्ड को बमों से उड़ाने की योजना बनायी गयी। इस योजना के तहत सी.एम.ए. कार्यालय में कार्यरत् उपेन्द्रनारायण वाजपेयी ने अपने साथी फणींद्रकुमार जैन, धीरेन्द्र कुमार जैन, जगदीशप्रसाद जैन, मास्टर पृथ्वी सिंह आदि के साथ मिलकर कार्यालय में 10 सेविंग स्टिक बम फेंके। इन बमों पर औद्योगिक रसायन विभाग बनारस विश्वविद्यालय लिखा हुआ था। क्रांतिकारियों को बम फेंकते हुए सी.एम.ए. कार्यालय के एक कर्मचारी ने देख लिया। उसने उपेन्द्रनारायण वाजपेयी को पहचान लिया और तुरन्त अपने उच्चाधिकारियों को इसकी सूचना दी। 16.11.1942 को उपेन्द्रनारायण को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और शीघ्र ही बम काण्ड में भाग लेने वाले अन्य क्रांतिकारी भी पकड़े गये। क्रांतिकारियों में शामिल उपेन्द्रनारायण वाजपेयी, इंद्रनारायण वाजपेयी और फणींदकुमार जैन को सरकार ने आजीवन कारावास का दण्ड सुनाया।शेष क्रांतिकारियों को भारत रक्षा कानून के अंतर्गत जेल भेज दिया गया। धीरेन्द्रकुमार जैन पर U/r 35/39 DIR के अंतर्गत केस चलाया गया और उन्हें जेल भेज दिया गया। जगदीशप्रसाद जैन को भी गिरफ्तार कर लिया गया। श्री जैन 22 नवम्बर 1942 भारत छोड़ो आन्दोलन में जैन समाज का योगदान :: 125
SR No.022866
Book TitleBhartiya Swatantrata Andolan Me Uttar Pradesh Jain Samaj Ka Yogdan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmit Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2014
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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