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________________ करनावल (मेरठ) के जुगलकिशोर जैन ने वीर भारत सभा से स्वतंत्रता आन्दोलन में भाग लेने की प्रेरणा पाकर 1930-38 के बीच में 5 बार जेल यात्रा की थी। 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन में उन्होंने फिर सक्रिय भागीदारी की और जेल यात्रा की। श्री जैन को मेरठ, लखनऊ और दिल्ली की जेलों में रखा गया। मवाना के भगवानदास जैन ने भी इस आन्दोलन में सक्रिय भाग लिया। उ.प्र. सूचना विभाग के अनुसार उन्हें 18 मास कड़ी कैद की सजा दी गयी।” पं. शीलचन्द्र जैन शास्त्री (मवाना) जेल तो नहीं जा सके, परन्तु उन्होंने इस आन्दोलन में पूरा हिस्सा लिया। उन्होंने जेल यात्रियों के परिवारों की सेवा करने का बीड़ा उठाया। खेकड़ा के गोपीराम जैन, बड़ौत के शीतलप्रसाद जैन भी इस आन्दोलन में जेल यात्री रहे। मेरठ के अन्य जैन नागरिकों ने भी देश के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन किया। बुलन्दशहर, अलीगढ़, मथुरा जिलों में भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान जैन समाज ने अपना सक्रिय योगदान दिया। बुलन्दशहर के रघुबीरशरण जैन ने अपने साथियों के साथ इस आन्दोलन में भाग लिया। उनकी सक्रिय गतिविधियों के कारण सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया तथा उन्हें 6 महीने की कड़ी कैद की सजा दी गयी। अलीगढ़ में अक्षयकुमार जैन ने इस आन्दोलन में सक्रिय भाग लिया। 9 अगस्त 1942 को उनके नाम गिरफ्तारी का वारंट जारी कर दिया गया, जिसके कारण अक्षयकुमार जैन जेल गये।। जेल जाने से पूर्व उन्होंने आगरा से प्रकाशित 'सैनिक' पत्र से सम्बद्ध रहकर अंग्रेजी सरकार के खिलाफ जमकर लिखा। उन्होंने पूरे प्रदेश में भ्रमण करके अंग्रेजी नीतियों का विरोध किया। अलीगढ़ निवासी जैनेन्द्रकुमार इस आन्दोलन के दौरान सपरिवार मलेरिया से ग्रसित हो गये, जिस कारण श्री जैन पहले दोनों आन्दोलनों की भाँति इस आन्दोलन में जेल यात्रा नहीं कर पाये। थोड़ा स्वस्थ होने पर उन्होंने पुनः देश के लिए कार्य करना प्रारम्भ कर दिया। यशपाल जैन (अलीगढ़ निवासी) ने 1938 में महात्मा गाँधी के साथ जुड़कर सस्ता साहित्य मण्डल और जीवन सुधा मासिक के सम्पादक के रूप में देशवासियों को आजादी की लड़ाई में भाग लेने को प्रेरित किया। इस आन्दोलन के दौरान उन्होंने लेखन के माध्यम से देश की सेवा की। मथुरा में भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान कार्यकर्ताओं ने अंग्रेजों का कड़ा विरोध किया। सरकारी सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाने के साथ ही स्वयंसेवकों ने जगह-जगह विरोध स्वरूप प्रदर्शन किये। पुलिस ने निर्ममता पूर्वक कार्यकर्ताओं को पीटना एवं गिरफ्तार करना प्रारम्भ कर दिया। जैन समाज के देशभक्तों को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। सुनहरीलाल जैन 'आजाद' को भारत रक्षा कानून की धारा 26 के अंतर्गत सरकार ने 10 महीने तक नजरबंद रखा। श्री जैन ने अपने क्षेत्र भारत छोड़ो आन्दोलन में जैन समाज का योगदान :: 127
SR No.022866
Book TitleBhartiya Swatantrata Andolan Me Uttar Pradesh Jain Samaj Ka Yogdan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmit Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2014
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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