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________________ तक कि यदि कोई घुड़सवार भी इसके पास से गुजरे तो यह उसे भी अपना आहार बना लेता है। (पृष्ठ ७३ ) 'अफ्रीका महाद्वीप तथा मेडागास्कर द्वीप के सघन जंगलों में कहीं-कहीं मानवभक्षी वृक्ष मिलते हैं, जो मनुष्यों और जंगली जानवरों को अपना शिकार बनाते हैं। कहा जाता है कि एक मनुष्य-भक्षी वृक्ष की ऊँचाई २५ फुट तक होती है। ये शाखाएँ १-२ फुट लम्बे कांटों से भरी रहती हैं । इस प्रकरण में मांसाहारी वनस्पतियों का विस्तार से विवेचन है । (पृष्ठ ७५) कीट - भक्षी पौधे - ये पौधे कीड़े-मकौड़े पकड़कर खाते हैं। युट्रीकुलेरियड इसी जाति का पौधा है । यह उत्तरी अमेरिका, आस्ट्रेलिया, दक्षिणी अफ्रीका, न्यूजीलैंड, भारत तथा कुछ अन्य देशों में पाया जाता है। - 'बटर - वार्ट पौधा भी कीड़ों को पकड़ने व खाने की कला में बड़ा प्रवीण होता है । बटरवार्ट के फूल बहुत सुन्दर होते हैं और इसके सम्पर्क में आने वाला बेचारा कीट यह कल्पना भी नहीं कर पाता कि इतने रंग-बिरंगे सुन्दर फूलों वाला यह पौधा प्राणघातक भी हो सकता है । (पृष्ठ ७४) विशेष ज्ञातव्य विशेष जानकारी के लिए लेखक की पूर्व प्रकाशित पुस्तक 'विज्ञान के आलोक में जीव - अजीव तत्त्व' में निम्नांकित प्रकरण पठनीय है। पुस्तक के प्रारम्भ में पृथ्वीकाय, अपकाय, तेउकाय, वायुकाय की सजीवता की विज्ञान से पुष्टि की गई है। (पृ. १४ से ३५ ) इसके पश्चात् वनस्पति में संवेदनशीलता नामक प्रकरण में पृष्ठ ३६ से ११५ तक लगभग ८० पृष्ठो में दिया गया है जिसके अन्तर्गत वैज्ञानिक यंत्र गेल्वोमीटर और पोलीग्राफ आदि से सिद्ध हुआ कि वनस्पति में १. सच - झूठ पहचानना, २ . सहानुभूति होना] ३. दयार्द्र होना, ४ . हत्यारों को पहचानना आदि अनेक क्षमताएँ हैं । विज्ञान जगत में सजीवता की सिद्धि दश विशेषताओं से होती है यथा - १. सचेतनता, २. स्पंदनशीलता, ३. शारीरिक गठन, ४. भोजन, ५. वर्धन, ६. श्वसन, ७. प्रजनन, ८. अनुकूलन, ९. विसर्जन, १०. मरण । तदनन्तर आगे ८ पृष्ठों में इनका प्रयोगात्मक विश्लेषण करके वनस्पति कार्य की सजीवता का विवेचन किया गया [ 14 ] जैतत्त्व सा
SR No.022864
Book TitleJain Tattva Sara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhiyalal Lodha
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year2015
Total Pages294
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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