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________________ 394 श्रमण-संस्कृति सत्य और ज्ञान का आलोक मिटा उन्हें सम्बोधि की प्राप्ति हुई। अतः वे तथागत और बुद्ध कहे गये बोधिप्राप्ति का स्थान होने के कारण गया को वोधगया कहा गया तथा जिस वृक्ष के नीचे ज्ञानप्राप्त हुआ उसे बोधि वृक्ष कहा गया। गौतम ने अपने ज्ञान का प्रथम प्रवचन वाराणसी के सारनाथ नामक स्थान पर किया। वही पर पाँच तपस्वियों को उनसे शिक्षा ग्रहण कि और उन्हें महत्व प्राप्त हुआ वहाँ साहित्य में इसे धर्म चक्र प्रर्वतन कहा जाता है। बुद्ध के व्यक्तित्व और धर्म उपदेश देनी की शैली दोनो ही बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार में सहायक हुए। बुद्ध भलाई द्वारा बुराई को हटाने का प्रयास करते थे तथा प्रेम करके घृणा का भगाने का प्रयास करते थे इसी लिए संघ, बुद्ध और बौद्ध धर्म के समाप्त हो जाने के बाद भी भारत के इतिहास में ही नही अपितु विश्व इतिहास में भी अपनी अमित छाप छोड़ गये ईसा पूर्व छठी शतावब्दी में पूर्वोत्तर भारत की जनता के समाने जो समस्याए खड़ी थी उन समस्याओं के प्रति बुद्ध और उनके शिष्यों ने प्रवल जागरूकता दिखाई। ___ लोहे का प्रयोग कृषि में होने के कारण उत्पादन में वृद्धि हुई तथा व्यापार और सिक्कों के प्रचलन से व्यापारियों और अमीरों को धन संचय करने का अकसर प्राप्त हुआ परिणामस्वरूप में समाजिक और आर्थिक असमानता बड़ी मात्रा के उत्पन्न हो गयी इसलिए बौद्ध-धर्म (गौतम बुद्ध) ने घोषणा की धन का संचय नहीं करना चाहिए। बौद्ध धर्म धन के अधिक संग्रह को ही दरिद्रता, घृणा, क्रूरता और हिंसा की जननी मानता है इसलिए वह सामाजिक समानता पर अधिक बल देते हैं उनकी भावना थी कि मजदूरों की मजदूरी तथा किसानों को अधिक से अधिक सुविधा निश्चित समय पर दिया जाना चाहिए। वे यह भी कहते है कि दरिद्र व्यक्ति, भिक्षुओं भिखारियों को जो भीख देगा वह अलगे जन्म में और धनवान होगा। __ निस्सन्देह बौद्ध धर्म का प्रमुख उद्देश्य मानव की मुक्ति निर्वाण का मार्ग दिखना था जो समाज शोषित एवं उपेक्षित, सामाजिक, असमानता को सहन नही कर सकते थे उन्हें बौद्ध धर्म में राहत मिली तथा बौद्ध धर्म में स्त्रियों और
SR No.022848
Book TitleAacharya Premsagar Chaturvedi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjaykumar Pandey
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2010
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size36 MB
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