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________________ 240 श्रमण-संस्कृति जैन काव्यों के समान और आचार्यों ने अपने धर्म और दर्शन के अनुरूप ही साहित्य-शास्त्र की रचना की। उनका साहित्य शास्त्र तो साहित्य की कसौटी में जैन तत्वों की अनिवार्यता स्वीकार करता है। जैन साहित्य शास्त्र के आचार्यों में आचार्य हेमचन्द्र का नाम सुप्रसिद्ध है। इनका जन्म गुजरात में अहमदाबाद जिले के 'धुन्धुक' नामक गांव में 1088 ई० और देहावसान 1172 ई० में हुआ था। हेमशब्दानुशासन, काव्यानुशासन तथा छन्दों अनुशासन नामक ग्रन्थों के माध्यम से इन्होंने अपनी प्रतिभा का परिचय दिया है। इन्होंने काव्यानुशासन के भट्टतौत के पद्य उद्धृत किये हैं, जो ऋषि नहीं हैं, वह कवि नहीं हैं। दर्शन (ज्ञान) के कारण ऋषि कहा जाता है, विचित्र गांवों धर्मांश और तत्त्व का विवेचन दर्शन कहलाता है। तत्त्वदर्शी को ही शास्त्र में कवि कहा गया है। परन्तु लोक में दर्शन एवं वर्णन दोनों से कवि कहा जाता है। आदि कवि महर्षि वाल्मीकि का दर्शन स्वच्छ था परन्तु जब तक वर्णना नहीं आई तब तक उनसे मुख से काव्य धारा नहीं वहीं तात्पर्य कि पदार्थों के तत्वज्ञान से व्युत्पत्ति और प्रख्या प्रतिभा से वर्णन (कविता) प्रादुर्भूत होती है अतः प्रतिभा व्युत्पत्ति काव्य के कारण हैं। (काव्यानुशासन पृष्ठ 379) आचार्य हेमचन्द्र के बाद उनके प्रमुख शिष्य रामचन्द्र और गुणचन्द्र का स्थान आता है। इन दोनों ने मिलकर 'नाट्यदर्पण' नामक एक नाट्य विषयक ग्रन्थ की रचना की है इसलिए दोनों नामों का उल्लेख साथ-साथ ही किया जाता है। किन्तु रामचन्द्र के अलग भी बहुत से ग्रन्थ पाये जाते हैं जो प्रायः नाटक हैं। उन्हें प्रबन्धकर्ता' कहा जाता है। इसका अभिप्राय यह है कि उन्होंने लगभग 190 ग्रन्थों की रचना की है। 11 नाटकों के उद्धरण नाट्यदर्पण में पाये जाते हैं। अन्य साहित्य ग्रन्थों के समान नाट्यदर्पण की रचना भी कारिका शैली में हुई है। उस पर वृत्ति भी ग्रन्थकारों ने स्वयं ही लिखी हैं। ग्रन्थ में चार विवेक हैं, जिनमें क्रमशः नाटक, प्रकरणादि, रूपक, रस भावाभिनय तथा रूपक सम्बन्धी अन्य बातों का विवेचन किया गया है। इन्होंने रस को केवल सुखात्मक न मानकर दुःखात्मक भी माना है जो जैन करुणा की विशेषता है। आचार्य के समय में गुजरात का अनहिलपट्टन राज्य जैन विद्वानों का
SR No.022848
Book TitleAacharya Premsagar Chaturvedi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjaykumar Pandey
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2010
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size36 MB
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