SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 204
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 172 श्रमण-संस्कृति अप्पा कत्ता विकत्ताय, दुहाण य सुहाण य। अप्पा मित्तममित्तं य, दुप्पट्ठिय सुप्पट्ठिओ।। एगप्पा अजिए सत्तू, कसाया इन्द्रियाणि य। ते जिणित्तु, जहानायं विहरामि अहं मुणी॥' . जैनधर्म के चिन्तन का केन्द्रीयभूत तत्त्व आत्मा है। इस चिन्तन से वैराग्य का जागरण होता है, सचेतता आती है, क्रान्ति होती है, रूपान्तरण होता है और समता का जन्म हो जाता है, समता आने से साधक के चैतन्य की दशा विरागता से भर जाती है। वह संसार में रहते हुए भी उसी प्रकार वहाँ रहता है जिस प्रकार पोखर में खिला हुआ कमल जो जल में रहता हुआ भी जल उसका स्पर्श भी नहीं कर पाता। भावे विरत्ते मणिओ विसोगे, एएणदुक्खोहरपरंपरेण। न लिप्पई भवमझे वि संतो, जलेण वा पोखराणि पलासं। जैन संस्कृति की मूल अवधारणा है कि आत्मा में अनन्त शक्ति है ज्ञान प्रवाहित है। मूलतः वह आत्मा विशुद्ध है, पर कर्मो के कारण उसकी विशुद्धता आवृत्त हो जाती है वीतरागता प्राप्त करने पर वही संसारी आत्मा परमात्मा बन जाती है यह इस संस्कृति का लोकतंत्रात्मक स्वरूप है। ___ धर्म की यह स्वभावगत विशेषता है कि वह समतामूलक हो। जैन संस्कृति की यह विशेषता है कि वह अथ से इति तक समता की बात करती है। वस्तु का असाधारण धर्म ही उसका स्वभाव है, उसका भीतरी गुण ही उसका स्वरूप है स्वाभाविक दृष्टि से आत्मा के स्वरूप पर भी विचार किया गया है, जो समतामूलक है। धर्मः श्रुतचारित्रात्मको जीवस्यात्मपरिणामः कर्मक्षयकारणम्। समता व्यक्ति का वास्तविक धर्म है, स्वभाव है। धार्मिक व्यक्ति अपने आपको अकेला करता जाता है, स्वभाव की ओर मुड़ता जाता है इसी प्रकार एक दिन निष्काम बन जाता है जो त्याग का जीवन होता है। क्रोधादि विकार भाव अपना घर न बना पाये यह तभी संभव है जब व्यक्ति का संकल्प दृढ़ हो। समता मानवता का रस है। बर्बरता, पशुता, संकीर्णता उसका प्रतिपक्षी स्वभाव है। राग-द्वेषादि भाव उसके विकार-तन्तु हैं,ऋजुता, निष्कपटता, विनम्रता और
SR No.022848
Book TitleAacharya Premsagar Chaturvedi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjaykumar Pandey
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2010
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size36 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy