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________________ 110 श्रमण-संस्कृति जातक साहित्य में व्यभिचारिणी स्त्रियों का उल्लेख मिलता है जिनसे उस काल के नैतिक आचरण पर प्रकाश पड़ता है। किन्तु बौद्ध ग्रंथों के गंभीर अनुशीलन से यह जान पड़ता है कि कुछ बौद्ध लेखकों का लक्ष्य था कि कथा के माध्यम से भिक्षुओं को स्त्री-साहचर्य से विरक्त करना, अत: जातकों में स्त्री जाति को धृष्टता का अवतार बना दिया गया। बौद्ध धर्माचार्य भिक्षुओं को इन अनेकानेक कथानकों द्वारा स्त्री-सम्पर्क से दूर रखने का प्रयत्न किया, क्योंकि नारी सौन्दर्य की माया किसी भी समय उन्हें भिक्षु-जीवन के आदर्श से च्युत कर सकती थी। किन्तु प्रो० के० टी० एस० सराओ उक्त विचार का खण्डन करते हैं उनका स्पष्ट विमर्श है कि वास्तव में बुद्ध की मृत्यु के उपरांत कम से कम जहाँ तक महिलाओं का प्रश्न है एक शून्य उत्पन्न हुआ। बुद्ध जैसे महान व्यक्तित्व के अभाव में आनंद जैसे महिलाओं के मुट्ठी भर बचे समर्थकों को संघ के उन भीतरी तत्वों ने अभिभूत कर दिया, जो महिलाओं के प्रवेश को एक अपमान की बात मानते थे। काल के उसी चक्र में बौद्ध संघ ने ब्राह्माणवाद के महिला विरोधी रुख को गले लगाया जिसने लगातार महिलाओं को अपूर्ण, दुष्ट, नीच, कपटी, विध्वंसक, विश्वासघाती, नमकहराम, अविश्वासी, चरित्रहीन, गिरी हुई, कामुक, ईर्ष्यालु, लालची, बेलगाम, मूर्ख व फिजूलखर्ची जैसे विशेषणों से विभूषित किया था। ____ इस प्रकार बौद्ध युगीन समाज के परिप्रेक्ष्य में नारियों की धार्मिक दशा पर अध्ययन के क्रम में स्पष्ट होता है कि महिलाओं की अपकर्षोन्मुख स्थिति के कारणों में यज्ञ पद्धति की जटिलता में वृद्धि तथा कन्या पक्ष के संदर्भ में विवाह की आयु का घट जाना सर्व शिक्षा से वंचित करना प्रधान कारण था। परन्तु बौद्ध धर्म ने महिलाओं को विद्यमान ब्राह्मणवाद की तुलना में अधिक अच्छे अवसर प्रदान किये।” भिक्षुणी संघ के माध्यम से महिलाओं के पास अपनी पारिवारिक भूमिकाओं के स्थान पर एक विकल्प भी उपलब्ध था। एक या दूसरे रूप में इस धर्म में लैंगिक समानता और लिंग की अंतिम अप्रासंगिकता के बारे में उपदेश निहित थे। तथागत ने निर्वाण प्राप्ति का मार्ग नारियों के लिए भी रखा तथा सभी जाति की महिलाओं को संघ में सम्मिलित होने का अधिकार देकर प्रजातांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा दिया। बुद्ध व आनंद
SR No.022848
Book TitleAacharya Premsagar Chaturvedi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjaykumar Pandey
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2010
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size36 MB
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