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________________ बौद्ध धर्म का तत्कालीन स्त्रियों के धार्मिक अधिकार पर प्रभाव 111 जैसे उनके सहयोगियों का यह स्पष्ट मानना था कि जाति की तरह लिंग भी किसी व्यक्ति द्वारा दुःख से छुटकारा पाने के बौद्ध लक्ष्य को प्राप्त करने में बाधा नहीं हो सकता था। संदर्भ 1. वृहत् संहिता, 74.5.11.15-16; मनु० 9.26 2. ऋग्वेद, 10.85.46 3. ऋग्वेद, 1.72-53; 5.32 4. तैत्तिरीय ब्राह्मण, 3.75 5. शपथ ब्राह्मण, 1.19.2.14 6. ऋग्वेद, 10.86.10 7. शतपथ ब्राह्मण, 5.1.6.10; तैत्तिरीय ब्राह्मण, 22.2.6 8. शतपथ ब्राह्मण, 1.1.4.13 9. ऐतरेय ब्राह्मण, 1.2.5; शतपथ ब्राह्मण 5.1.6.10 10. ऐतरेय ब्राह्मण 7.9.10 11. शतपथ ब्राह्मण, 14.3.1.85 12. वीरमित्रोदय, पृ० 402 पर हारीत का वचन। स्मृति चंद्रिका, पृ० 62 13. हरिदत्त शास्त्री, हिन्दू परिवार मीमांसा, पृ० 137 14. मज्झिम निकाय, 1.2.4 15. विनयपिटक, भिक्षुणी स्कन्ध 16. संयुक्त निकाय, 3/2/6 प्रथम भाग 17. वही 3/2/6, प्रथम भाग, पृ० 78 18. संयुक्त निकाय, 1/28, 1/29 19. आई० बी० हार्नर, विमेन अंडर प्रिमिटिव बुद्धिज्म, पृ० 19-20 20. संयुक्त निकाय, 1/7, अंगुत्तरनिकाय : 2/312, सुत्तनिपात : 1/2/24 21. थेरीगाथा परमत्थदीपनी अट्ठकथा, 3/1/52, पृ० 53-54 22. थेरीगाथाः परमत्थदीपनी अट्ठकथा, 15/1/422; 6/5/152-153 23. इण्डियन एजूकेशन इन एण्श्येंट एण्ड लेटर टाइम्स, पृ० 75 24. थेरीगाथा, 15/1/409, 'चयाम्हि अनुसिट्ठा' 25. अंगुत्तर निकाय, 2/303 26. थेरीगाथा परमत्थदीपनी 27. वही 28. डॉ० जयशंकर मिश्रः प्राचीन भारत का सामाजिक इतिहास, पृ० 390
SR No.022848
Book TitleAacharya Premsagar Chaturvedi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjaykumar Pandey
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2010
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size36 MB
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