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________________ धर्मपरि० ए॥ | खेती माल ॥१॥ एक दिन बापे पुत्रने, मोटी कीधी रीस ॥ कोप चढावी चालीयो, गयो गाम दश वीश ॥२॥ याहीर देशमां श्रावीयो, पिंपल नामे गाम ॥ धान खेत्रनां आणीने, ( खलां ) कीधां ठामोठा ॥३॥ मधुकर कहे लोको जी, (आ) धान तथा अंबार ॥ घरं चणा चोला घणा, मग मग्नो नहीं पार ॥ ४ ॥ देश तुमारामां सही, निपन्यां एहवां धान ॥ देश अमारे एहवां, निपजे फोफल पान ॥ ५ ॥ मरी लवींग ने एलची, श्रीफल केलां द्वाख ॥ अनेक वस्तु उपजे, आंबा केरी शाख ॥ ६ ॥ वात मधुकरनी सुणी, श्रचरिज पाम्या लोक ॥ एक कहे नवी मानीए, जे बोले ते फोक ॥ ७ ॥ पटेल तलाटी एम कहे, एहने कीजे केम ॥ ठाकोर तेडी पूबीए, करशुं कदेशे जेम ॥८॥ कोप करी ठाकोर कहे, खोडे' घालो एह ॥ बेदो नाक पटेल के', तलाटी बोले तेह |||| हाथ पाय बेदो परा, जूठाबोलो लोक ॥ तेह राखवो नवि घटे, कलंक मूके फोक ॥१०॥ ढाल बडी. राम सीताने द्वीज करावेरे, त्रणसें हाथ खाइ खणावेरे - ए देशी. देवो शेठ बोल्या दयावंतरे, स्वामी एह दीसे बे संतरे ॥ चीजडां चोरने बूसट १ रुमां. खंग १ ॥ ए॥
SR No.022846
Book TitleDharm Parikshano Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1913
Total Pages342
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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