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________________ सगां साजन नहीं हां कोयरे, तो श्रमारो साखी कोण होयरे ॥ १४ ॥ ब्राह्मण सहना बोल्या तेणी वाररे, तुमे बेहु नाश् देवकुमाररे ॥ साची वात कहेजो निरधाररे, कयां । पुराण साचां सिरदाररे॥१५॥ न्याय नीति साची कहो वातरे, असत्य नाख्याधी होशे | घातरे ॥ मनोवेग कहे सांजलो वाचरे, घात होये बोलतां साचरे ॥१६॥ सोल मूठी नर कडो एकरे, साच बोख्याधी पाम्यो ठेकरे ॥ गरदन पर सोल मूठ खाधीरे,ते नर नीत रह्यो तिहां बांधीरे ॥१७॥ द्विज सघला तव कहे कर जोगरे, अमने सांजलवानो| NIबे कोडरे ॥ सोल्ल मूवीया नर तणी वातोरे, साच बोव्याधी केस पारयो घातोरे ॥१॥ मनोवेग बोल्यो गुणवंतरे, मलबार देश देशोमां संतरे॥ मंगलपुर नामे के गामरे,वृक्ष वाडीए करी श्रनिरासरे ॥१ए। अगर तगर जंचा ताबरे,श्रीफल फोफल फणस तमाबरे ॥ मरी लवींग सहकारनां गमरे, धनवंत लोक वसे तेणे गामरे ॥२॥ लमर नामे | कुणबी ने एकरे, रूपाणी नामे नार सुविवेकरे॥पहेला खंडती पांचसी ढाबरे,नेमविजय कहे थर उजमाखरे ॥१॥ उदा. मधुकर नामे पुत्र के, कोपी मूरख रीसाल ॥ निख परखं धन खोस्ने विणस्यो
SR No.022846
Book TitleDharm Parikshano Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1913
Total Pages342
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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