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________________ जैन धर्म, दर्शन एवं संस्कृति की प्राचीनता 95 प्रकाश पड़ता है। 2. श्वेताम्बर जैनों के एक विशाल मन्दिर के 34 टुकड़े हैं और वे हविष्क राजा के समय के हैं । 3. महावीर की एक मूर्ति है, उसे 23 तीर्थंकरों की मूर्तियाँ घेर कर बैठीं हैं जिसे जैन चौबीसी कहते हैं । 4. संवत् 1036 और 1134 की बनी हुई पद्मप्रभु की दो मूर्तियाँ हैं । 5. ई० सन् पहली शताब्दी की बनी हुई बोधि सत्त्व, अमोघसिद्धार्थ की एक मूर्ति है। 6. बुद्ध की दस मूर्तियाँ लेख सहित हैं । 7. नर्तकी के पूरे कद की मूर्ति सहित एक खंभ है I 8. चार फुट व्यास का एक बहुत ही अच्छा पत्थर का छत्र है 1 उपर्युक्त रिपोर्ट से यह तो प्रमाणित हो ही जाता है, कि किसी समय में मथुरा में जैन तथा बौद्ध दोनों धर्मों का बड़ा प्राबल्य रहा था । सन् 1889-90 में जब जैन स्तूप और दिगम्बर जैनों के मन्दिर की खुदाई का काम हुआ तब 80 मूर्तियाँ जैन तीर्थंकरों की निकली और उनके साथ ही 120 टुकड़े जो पत्थर की पट्टियों के थे, निकले और उन पर बहुत से शिलालेख भी हैं। उन शिलालेखों में 17 तो बहुत पुराने हैं। सर्वाधिक खुदाई का कार्य सन् 1890-91 में हुआ और इन वर्षों की निकली वस्तुओं का उल्लेख डॉ० फुहरर ने इस प्रकार किया है 1. पत्थर के 737 टुकड़े निकले, जिन पर बहुत ही अच्छा नक्काशी का काम खुदा हुआ है। इनमें पटियों, चौर पटे, खंभे, तोरण, दरवाजे और मूर्तियाँ वगैरह भी शामिल हैं और शिल्पकलाविदों की जाँच से वे बहुत ही प्राचीन प्रमाणित होती हैं। 2. इन खण्डहरों में से 62 टुकड़े ऐसे हैं, जिन पर शिलालेख खुदे हुए हैं । वे शिलालेख ईसा के डेढ़ सौ वर्ष पूर्व पहले से लेकर ई० स० 1023 तक के हैं । 3. इनमें एक लेख ऐसा है, जिसके अक्षर उस लेख से भी बहुत पुराने हैं, जो कि ईसा के 150 वर्ष पूर्व खोदा गया था । यह लेख एक मन्दिर का है । इसमें मन्दिर बनाने वाले का नाम भी है। इससे प्रमाणित होता है, कि ईस्वी सन् से कई शताब्दियों पहले भी मथुरा में जैन मन्दिर विद्यमान थे। उस मन्दिर के ऊपर का काम यह सिद्ध करता है, कि दो ढाई हजार वर्ष पूर्व भी इस देश में शिल्पकला अपनी उत्कृष्टता को पहुँची हुई थी । 4. एक मूर्ति की बाँई तरफ खुदा हुआ एक और शिलालेख मिला है। उसमें
SR No.022845
Book TitleJain Sanskruti Ka Itihas Evam Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMinakshi Daga
PublisherRajasthani Granthagar
Publication Year2014
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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