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________________ 436 * जैन संस्कृति का इतिहास एवं दर्शन पालन करना व जिन दोषों से बचना-साधु के लिए आवश्यक है, उसे गवेषणा कहते हैं। 2. ग्रहणेषणा : साधु आहार आदि को ग्रहण करते समय जिन नियमों का पालन करता है व दोषों से बचता है, उसे ग्रहणेषणा कहते हैं। ___3. परिभोगेषणा : मिले हुए आहारादि का उपभोग करते हुए साधु को जिनजिन नियमों का पालन करना चाहिये और जिन दोषों से बचना चाहिये, उसे परिभोगेषणा कहते हैं। इस भिक्षाचर्या में 42 दोषों की संभावना बतायी जाती है। भिक्षा के 42 दोष में से 16 उद्गम दोष, 16 उत्पादन दोष और 10 एषणा के दोष बताए गए हैं। भिक्षा देते समय गृहस्थ द्वारा लगने वाले दोषों को उद्गम दोष कहते हैं। साधु तथा श्रावक द्वारा लगने वाले दोषों को एषणा दोष कहते हैं। पाँच आहार उपभोग के दोष हैं। इन 47 आहार दोषों से बचना साधु के लिए आवश्यक है, जो अग्रलिखित हैं - 1.सोलह उद्गम दोष : 1. आधा-कर्म : किसी विशेष साधु को मन में रखकर उसके निमित्त भोजन बनाना। ऐसा आहार सेवन करने से, निमन्त्रण स्वीकार करने से, ऐसा आहार करने वाले के साथ रहने से व उसकी प्रशंसा करने से भी दोष लगता है। 2. औद्देशिक : सामान्य याचकों के लिए आहार तैयार करना या याचक के लिए अलग निकालकर रखना वर्जित है। 3. पूतिकर्म : शुद्ध आहार में आधा कर्म का अंश मिला भोजन। 4. मिश्रजात : अपने व साधु के लिए एक साथ पकाया हुआ आहार। 5. स्थापना : साधु को देने के लिए भोजन अलग निकालकर रखना। 6. प्राभृतिका : साधुओं के आगम को सुनकर विवाहादि अवसरों को आगे पीछे सरकाना, जिससे साध को भोजन मिल सके। 7. प्रादुष्करण : अंधेरे में रखे भोजन को दीपक जलाकर साधु को देना। 8. क्रीत : साधु के लिए खरीद कर देना। 9. प्रामित्य : उधार लाया हुआ आहार देना। 10. परिवर्तित : साधु के लिए अदल-बदल की हुई वस्तु देना। 11. अभिहत : साधु के निमित्त वस्तु को अन्यत्र ले जाकर देना। 12. उदभिन्न : लेप आदि द्वारा बन्द की हुई वस्तु खोलकर देना। 13. मालापहत : अधिक ऊँचा या पहुँच से दूर रखा आहार उतार कर देना। 14. आच्छेय : निर्बल व्यक्ति से छीनकर साधु को आहार देना। 15. अनिसृष्ट : वस्तु के एक से अधिक स्वामी होने पर सबकी इच्छा के
SR No.022845
Book TitleJain Sanskruti Ka Itihas Evam Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMinakshi Daga
PublisherRajasthani Granthagar
Publication Year2014
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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