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________________ 20. ऋग्वेद, 2/33/10, 2/3/1/3,7/18/22,10/2/2/99/7,10/85/4 आदि 21. कल्पसूत्र, सू० 161, 162 22. आचारांग, 1/3/1/108, निग्गंथं पावयणं ( भगवती 9/6/386) 23. अ. सौच्चाणं जिण सासणं- दशवैकालिक, 8/25 ब. जिणमय, वही 9/3/15 24. जिणवयणे अणुस्ता जिणवयणं जे करेंति भावेण - उत्तराध्ययन सूत्र, 36/264 25. अणुत्तरं धम्ममिणं जिणाणं (सूत्रकृतांग) - अ० 6 गा० 7 26. अ. जइण समुग्धायगईए, विशेषावश्यक भाष्य, गा० 383 ब. जिण तिथं, वही, गा० 1043 22222 27. मत्स्यपुराण, 4/13/54 गत्वाथ मोह या मास रजि पुत्रान् वृहस्पतिः, जिनधर्म समास्थाय वेदबाह्यं स वेदवित् । छद्म रुपधरं सौम्य बोधयन्तं छलेन तान्, जैन धर्मकृतं स्वेन, यज्ञनिन्दा परं तथा ॥ दैवीभागवत्, 4/13/54 29. ऋग्वेद, 10/11/136,10/121,10/90 30. ऋग्वेद (1) मं० 3, अष्टक 3, अ० 3, वर्ग 21, ऋचा 140, जैन धर्म, दर्शन एवं संस्कृति की प्राचीनता 111 28. (2) म. 8, अ. 10, सू० 89, ऋचा 3, 4 (3) मं० 2, अ. 2, सू० 12 ऋचा 5 ( 4 ) अ. 6, अ० 4, वर्ग 32, ऋचा 10 आदि । 31. श्रीमद्भागवत, स्कं० 5, अ० 6, श्री० 3-6 वही, स्कं० 5, अ. 6, श्री० 16 32. 33. वही, 5/3/13 34. वही, 5/6/19 35. वही, 5/4/14 36. वही, 5/6/15 37. वही, 5/6 38. वही, 5/7/2-3 39. वही, 5/5 40. वही, 5/7 41. वही, 1/3/13 42. वही, 5/3/20 पद्मपुराण रामशर्मा आचार्य, 1/7/127 43. 44. वही, 1/7/60-101 45. वही, 1/25/44-50 46. पद्मपुराण, भूमिखण्ड, रामशर्मा आचार्य, 2/36/17
SR No.022845
Book TitleJain Sanskruti Ka Itihas Evam Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMinakshi Daga
PublisherRajasthani Granthagar
Publication Year2014
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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