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________________ का ज्ञान, साहित्य एवं संस्कार के क्षेत्र में महान् उपलब्धि था। वे (हेमचंद्र) गुजराती भाषा के जन्मदाता एवं गुजरात की अस्मिता के प्रथम गायक थे'। 46 इनका जन्म ग्यारहवीं शताब्दी के अंत में माना गया है। प्रभावक चरित से इस बात की पुष्टि हो जाती है।" ई. सन् १०८८-८९ में जन्म होने से यह भी स्पष्ट हो जाता है कि हेमचंद्र के साहित्य सृजन का समय बारहवीं शताब्दी रहा चूंकि इनका राज्याश्रय जयसिंह एवं कुमारपाल से जुड़ा है अतः ऐतिहासिक तथ्यों से भी स्पष्ट हो जाता है कि आपकी अधिकांश रचनाए बारहवीं शताब्दी में ही रची गईं। डॉ. वृलर के अनुसार उन्हें ११६६ वि. सं. में सृरि पद प्राप्त हुआ था, अत: सिद्धराज जयसिंह से उनका प्रथम परिचय ११६६ वि. सं. के बाद ही संभव लगता है । जयसिंह ने ११९१-९२ वि. सं. में मालवा को परास्त किया। तब सिद्धराज के आग्रह पर "शब्दानुशासन सिद्धहेम' ग्रंथ की रचना हेमचंद्र ने की। परंतु प्रबंध चिंतामणि के अनुसार यह ग्रंथ एक वर्ष में पूरा हुआ था। डॉ. वूलर आदि इस ग्रंथ की रचना में कम से कम तीन वर्ष का समय लगा बताते हैं। मालव विजय के तीन वर्ष बाद ११९२-९५ तक शब्दानुशासन पूर्ण हुआ होगा। इसी प्रकार संस्कृत द्वयाश्रय काव्य भी वि. सं. १२२० के पूर्व पूर्ण नहीं हुआ होगा। काव्यानुशासन ग्रंथ भी जयसिंह के समय का माना गया है क्योंकि इसमें कुमारपाल राजा का नाम कहीं नहीं आया है। इस प्रकार ११९६ वि. सं. में काव्यानुशासन की रचना हुई होगी। पंडित चंद्रसागर सूरि के मतानुसार हेमचंद्र ने व्याकरण की रचना सं. ११९३-९४ में की थी।" डॉ. वूलर काव्यानुशासन एवं छन्दोऽनुशासन को कुमारपाल के प्रारंभिक समय में रचा मानते हैं। इन ग्रंथों में जयसिंह के लिए चार स्तुतियां एवं अन्य उनचास स्तुतियां भी हैं। कुमारपाल का समय वि. सं. १२२९ तक था तथा हेमचंद्र का स्वर्गवास कुमारपाल से छ: माह पूर्व हुआ था अतः हेमचंद्र का रचनाकाल स्पष्ट रुप से ११९२ से १२२८ वि. सं. तक लक्षित होता है। डॉ. वूलर के मत से कुमारपाल के प्रारंभिक राज्य काल में कोशों के शेष परिशिष्ट तथा देशीनाममाला की रचना हुई। देशीनामामाला की विस्तृत टीका १२१४- , १२१५ वि. सं. में मानी गई है। योगशास्त्र वीतरागस्तोत्रादि ग्रंथ १२१६ वि. सं. के बाद लिखे गये होंगे। आलोच्य कृति त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित का रचनाकाल डॉ. वूलर वि. सं. १२१६-१२२८ के बीच मानते हैं। कुमारपाल चरित, संस्कृत द्वयाश्रय काव्य, अभिज्ञान चिंतामणी की टीका आदि इसी समय की रचनाएं हैं। इनके शिष्य महेन्द्रसूरि ने १२१६ के बाद अनेकार्थ कोप की टीका लिखी होगी। डॉ. वृलर प्रमाण मीमांसा का समय वि. सं. १२१६ से १२१९ के बीच रखते हैं। इस प्रकार हेमचंद्र का रचनाकाल ११९२ से १२२९ वि. सं. ही ठीक वैठता है। 34
SR No.022699
Book TitleJain Ramayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishnuprasad Vaishnav
PublisherShanti Prakashan
Publication Year2001
Total Pages216
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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