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________________ ८. कुमारपाल प्रबंध - श्री उपाध्याय जिनमंडल, वि. सं. १३९२ ९. कुमारपाल प्रतिबोध प्रबंध - श्री जयसिंह सूरि, वि. सं. १४२२ १०. कुमारपाल चरितम् - श्री जयसिंह सूरि, वि. सं. १४२२ ११. विविधतीर्थ कल्प- श्री जिनप्रभ सूरि, वि. सं. १३८९ १२. रसमाला - श्री अलेक्जेन्डर तथा किन्लांक फार्ब्स, वि. सं. १८७८ १३. लाइफ ऑफ हेमचंद डॉ. बूलर, ई. सन् १८८९ । ७ " लाईफ ऑफ हेमचंद्र " आधुनिक युग की आधार सामग्री है जिसे जर्मन विद्वान डॉ. वूलर ने वियना में लिखा था । इस कृति की भाषा जर्मन है । जर्मन भाषा में प्रकाशित होने के पश्चात् ई. सं. १९३६ में डॉ. मणिलाल पटेल ने इसका अंग्रेजी अनुवाद किया। अंग्रेजी में सिन्धी जैन ज्ञानपीठ, विश्वभारती, शांतिनिकेतन से प्रकाशित होने के बाद ई. सन् १९६७ में कस्तूरमल बांठिया ने इसका हिन्दी अनुवाद किया। हिन्दी अनुवाद की यह कृति चौखम्बा विद्याभवन, वाराणसी से प्रकाशित है । डॉ. वूलर ने अपनी पुस्तक 'लाईफ ऑफ हेमचंद्र' में जिन कृतियों को आधार माना है वे ये हैं – प्रभावक चरित, प्रबंध चिंतामणि, प्रबंधक कोष, कुमारपाल प्रबंध, द्वयाश्रय काव्य, सिद्धमप्रशस्ति, एवं महावीर चरित । - उपर्युक्त आधार ग्रंथों में हेमचंद्र के जीवन विवरणों के साथ-साथ तत्कालीन राजाओं व आचार्यों के चरित्रों का भी वर्णन है । मूलाधार ग्रंथ 'मोहराज पराजय' में राजा कुमारपाल को व्यसन से मुक्ति दिलाकर वैराग्य धारण करवाने का विशद् वर्णन है । 'कुमारपाल प्रतिबोध' में हेमचंद्र द्वारा कुमारपाल को दिए गए उपदेश संग्रहित हैं। जन्म एवं बाल्यावस्था : हेमचंद्र की जन्मभूमि गुजरात व काठियावाड के बीच सीमा पर स्थित " धूधँका" है जो आजकल अहमदाबाद जिले में है। इनका जन्म वि. सं. ११४५ में कार्तिक शुक्ल १५, रात्रि को तदनुसार सन् १०८८ या १०८९ को नवम्बर - दिसम्बर माह में हुआ था ।' 'धुंधका" नगर को संस्कृत ग्रंथ में धुन्धुक्क या धुन्धुकपुर नाम भी दिया गया है। हेमचंद्र की माता का नाम पाहिणी व पिता का नाम चाचिग था । इनके माता-पिता मोढ वंशीय वैश्य थे।" पिता के लिये चाच्य, चाच, चाचिग - तीन नामों का उल्लेख हुआ है। मोढेरा गाँव से इनके वंशजों का निकास होने के कारण ये मोढ वंशीय कहलाए । हेमचंद्र के माता-पिता जैन श्रद्धालु थे । इनकी कुलदेवी चामुण्डा तथा कुलयक्ष गोनस था ।" देवताओं के प्रतीक अर्थ से आदि अंत के अक्षर लेकर हेमचंद्र का नाम भी चाऽगदेव पड़ा।" डॉ. मुसलगांवकर लिखते हैं कि प्रबंध चिंतामणि के अनुसार इनके पिता शैव प्रतीत होते हैं। क्योंकि उदयन मंत्री द्वारा धनराशि देने पर उसे शिव निर्माल्य सम कहा है। इनके पिता देव व गुरुजनों की अर्चना करने वाले थे। इनके 1 25 44
SR No.022699
Book TitleJain Ramayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishnuprasad Vaishnav
PublisherShanti Prakashan
Publication Year2001
Total Pages216
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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