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________________ तीसरा भाग किसलिये इकट्ठा किया गया है ? रक्षकोंने कहा-मापके विवाह महोत्सवपर मारने के लिये श्रीकृष्णने इन पशुओंको इकट्ठा किया है। (१२) रक्षकोंकी बात सुनकर उनके मनमें बड़ी दया उत्पन्न हुई। वे विचार करने लगे कि ये पशु वनमें रहते हैं, तृण खाते हैं और किसीका अपराध नहीं करते, ऐसे पशुओंको मेरे विवाह के लिए मारा जाता है ! इस तरह सोचकर वे विरक्त हुए, उन्होंने विवाहके माभूषण उतारडाले । (१३) वैराग्य होनेपर लौकांतिक देवोंने भाकर उन्हें प्रणाम किया और इन्द्रादि देवोंने उनका दीक्षा कल्याण उत्सव किया । (१४ ) देवों के द्वारा उठाई गई देवकुरु पालकीपर सवार होकर सहस्राम्रजनमें श्रावण शुक्ला षष्ठीके दिन चित्रा नक्षत्रमें संध्या समय तेला नियम लेकर दीक्षा धारण की। (१५) कुमार कालके तीनसौ वर्ष बाद आपने दीक्षा धारण की थी। आपके साथ एक हजार राजा दीक्षित हुए थे। (१६) तीन दिन के बाद उन्होंने द्वारावती नगरीमें राजा वरदत्तके यहां माहार लिया, जिससे उनके यहां पंचाश्चर्य हुए। (१७) छप्पन दिन तपश्चरण करने के बाद रैवतक पहाड़ पर बांसवृक्षके नीचे माश्विन वदी पडवाके सबेरे उन्हें केवलज्ञान प्राप्त हुआ। इन्द्रादि देवोंने ज्ञानकल्याणक मनाया और समोशरण सभा बनाई। . १८ मापके समोसरणमें इस प्रकार शिष्य थे
SR No.022685
Book TitlePrachin Jain Itihas Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurajmal Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1939
Total Pages144
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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