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________________ प्राचीन जन इतिहास। ८ ११ वरदत्त आदि गणधर ४०० श्रुतज्ञानके धारी ११८०० शिक्षक मुनि १५०० भवधिज्ञानी १५०० केवलज्ञानी ११०० विक्रिया ऋद्धिके धारी ९०० मनःपर्यय ज्ञानी ८०० बादी मुनि १८०११ १००००० श्रावक ३००००० श्राविकाएं (१९) छहसौ निन्यानवे वर्ष नौ महीना चार दिन उन्होंने सब देशोंमें विहार कर धर्मोपदेश दिया। अन्तमें भायुका एक मास शेष रहनेपर मापने उपदेश देना बन्द कर दिया । और गिरनार पर्वतपर आषाढ़ शुक्ला सप्तमी के दिन कर्मों का नाशकर मोक्ष पधारे । इन्द्रादि देवोंने आपका मोक्ष कल्याणक मनाया। . पाठ ४। महासती राजीमती। (१) राजीमती मथुराके राजा उग्रसेनकी पुत्री थी। उनका विवाह श्री नेमिकुमारजीके साथ होना निश्चित हुभा था। (२) जिस समय श्री नेमिकुमार विवाह के लिए भा रहे
SR No.022685
Book TitlePrachin Jain Itihas Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurajmal Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1939
Total Pages144
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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