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________________ सामाजिक जीवन २५ कन्या के माता-पिता अपने जमाई को अपने घर रख लेना पसन्द करते थे। पारस देश में भी इस प्रथा का चलन था। अश्वों के किसी मालिक ने किसी दरिद्र आदमी को अपने घोड़ों की देखभाल के लिए नौकर रख लिया था। उसके यहाँ प्रति वर्ष प्रसव करने वाली घोडियाँ थीं, नौकर को उसकी मजदूरी के बदले दो घोड़े देने का वादा किया गया। धीरे-धीरे उस नौकर का अश्वस्वामी की कन्या से परिचय हो गया। इस बीच में जब उसके वेतन का समय आया तब उसने अश्वस्वामी की कन्या से पूछकर सर्वोत्तम लक्षणयुक्त दो घोड़े छाँट लिये। यह देखकर अश्वस्वामी सोच-विचार में पड़ गया। आखिर उसने नौकर के साथ अपनी कन्या का विवाह कर उसे घरजमाई बना लिया।३० 'बृहत्कल्पभाष्य' में बहु-पत्नी रखने की प्रथा का उल्लेख मिलता है। किसी गृहस्थ ने अपनी चारों स्त्रियों को मारकर घर से निकाल दिया। उसकी पहली पत्नी घर से निकलकर दूसरे के घर चली गयी, दूसरी अपनी कुलगृह में जाकर रहने लगी, तीसरी अपने पति के किसी मित्र के घर पहुँच गयी, लेकिन चौथी पिटी जाने पर भी वहीं रही। पति अपने चौथी पत्नी से बहुत प्रसन्न हुआ और उसने उसे गृहस्वामिनी बना दिया।३१ सामाजिक संस्थाएँ परिवार __परिवार अथवा कुटुम्ब सामाजिक जीवन की इकाई ही नहीं बल्कि आधारशिला है। जन्म से लेकर मृत्यु तक की सारी व्यवस्था पारिवारिक संगठन के अन्तर्गत ही संचालित होती है। माता-पिता, पति-पत्नी, भाई-बहन और पुत्रपुत्री के संयोग से परिवार का निर्माण होता है। अतः परिवार संस्था का उद्भव और विकास इसी आधार पर हुआ है। परिवार के सब लोग एक ही स्थान पर रहते, एक ही जगह पकाया हुआ भोजन करते तथा सर्वमान्य जमीन जायदाद का उपभोग करते। स्त्रियाँ छाड़ने-पिछाड़ने, पीसने-कूटने, रसोई बनाने, भोजन परोसने, पानी भरने और बर्तन मांजने आदि का काम करतीं।२२ 'बृहत्कल्पभाष्य' में संस्कारों का उल्लेख आता है। जिस दिन मनुष्य संसार त्याग करता था उस दिन उसका निष्क्रमण-संस्कार होता था। यह किसी शुभ दिवस पर ही होता था। प्रायः चतुर्थी अथवा अष्टमी के दिन इसके लिए अशुभ समझे जाते थे।३३
SR No.022680
Book TitleBruhat Kalpsutra Bhashya Ek Sanskritik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendrapratap Sinh
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2009
Total Pages146
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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