SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 157
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ रस-परिपाक १३७ हुआ है । नायिका नायक को खिजाते हुए कहती है कि क्या बात है कि रसीली बातें करने पर भी आप चुप हैं । विभिन्न प्रकार से चुम्बन करने पर भी आप मेरा चुम्बन नहीं करते । गाढ़ आलिङ्गन करने पर भी आप आलिङ्गन के लिये प्रवृत्त नहीं हो रहे । मेरी दृष्टि आप पर ही लगी हुई है किन्तु आपकी दृष्टि मेरी ओर घूमती ही नहीं है। ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे मैं आपको नहीं आपके चित्रपट को देख रही हूँ। इस प्रकार द्विसन्धान-महाकाव्य में मान-खण्डन का सजीव चित्रण हुआ है। (ख) करुण-विप्रलम्भ संस्कृत काव्य-साहित्य में नायक अथवा नायिका की वियोगजन्य अवस्था के निरूपण को करुण-विप्रलम्भ माना गया है । कवि धनञ्जय ने करुण-विप्रलम्भ के सन्दर्भ में रावण द्वारा सीता का अपहरण कर लिये जाने पर सीता के वियोग में वियुक्त राम का वर्णन बड़ी प्रभावपूर्ण शैली में किया है कल्याणनिक्वणा वीणा श्रुती नृत्यं विलोचने। हरिचन्दनमप्यङ्गं तानि तस्य न पस्पृशुः ।। इस उद्धरण में धनञ्जय राम की विरहावस्था का वर्णन करते हुए कहता है कि वियोगी राम के कानों में वीणा की मधुर सांगीतिक ध्वनि नहीं पहुँच पाती है, उसके नेत्रों को मनोहारी नृत्य भी रुचिकर नहीं लगता है, और तो और, विरहावस्था के कारण उसने अपने शरीर पर हरिचन्दन का लेप करना भी छोड़ दिया है। एक अन्य प्रसंग में कवि ने रामदूत हनुमान अथवा कृष्णदूत श्रीशैल के मुख से लंका/राजगृह स्थित सुन्दर वन में बन्दी सीता/सुन्दरी के समक्ष राम/श्रीकृष्ण की विरहजन्य अवस्था का बड़ा ही मार्मिक वर्णन किया है तवैव संदर्शनसंकथा: कथास्त्वयि प्रसक्ताः श्रुतयो दिवानिशम् । त्वयैव वाञ्छा: सहवासतत्परा विना त्वदुर्वीपतिरुन्मनायते ।। सुनिचितमपि शून्यमाभासते परिजनविभवोऽपि सैकाकिता। अरुचिरभवदस्य लक्ष्मीमुखे त्वदभिगमनेन रिक्तं मनः ।। अनुरहसमुपैति मन्त्रं मुहुः परमपि परिवृत्य नाथेत स: । असुषु वसुषु च व्ययं व्यश्नुते सपदि तव कृते न किं तत्कृतम् ॥ १. द्विस.,९९
SR No.022619
Book TitleDhananjay Ki Kavya Chetna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBishanswarup Rustagi
PublisherEastern Book Linkers
Publication Year2001
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy