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________________ दशम सभिक्षुअध्ययनम् संबंध : नवम् अध्ययन में विनय का स्वरूप दर्शाया है। उस विनय धर्म का पालन उत्कृष्टता से मुनि ही कर सकता है । विनय धर्म पालन युक्त, किन-किन आचरणाओं का पालन करने से, आत्महित साधक "भिक्षु" कहा जाता है। उसका स्वरुप "स भिक्खू” नामक दशम् अध्ययन में दर्शाया है। वांत भोगों का अनासेवी : निक्खम्माणाइय बुद्धवणे, निच्चं चित्त समाहिओ हविज्जा । इत्थीण वसंम् न यावि गच्छे, वन्तं नो पडियाय जे स भिक्खू ॥ १ ॥ तीर्थंकरादि के उपदेश से गृहस्थाश्रम से निकलकर, निग्रंथ प्रवचन में सदा अति प्रसन्नतापूर्वक, चित्त समाधियुक्त बनना चाहिये । चित्त समाधियुक्त रहने हेतु मुनि, सभी असत् कार्यों के बीज रूप स्त्री के वश में न आवे (स्त्री की आधिनता स्वीकार न करे), वांत भोगों को पुनः भोगने की चाहना न करे। वही भिक्षु है ॥ १ ॥ "हिंसा से रहित" पुढविं न खणे न खणावए, सीओदगं न पिए न पियावए । अगणि-सत्थं जहा सुनिसियं, तं न जले न जलावए जे स भिक्खू ॥ २ ॥ अनिलेण न वीए न वीयावर, हरियाणि न छिन्दे न छिन्दावए । बीयाणि सया विवज्जयन्तो, सचितं नाहारए जे स भिक्खू ॥ ३ ॥ जो पृथ्वीकाय का खनन् न करे न करावे, सचित्त जल न पीये न पीलावे, सुतीक्ष्णशस्त्रसम षड्जीवनिकाय घातक अग्नि न जलावे, न जलवाये, यानि पृथ्वीकाय आदि की विराधना न करने वाला मुनि है । भिक्षु है ॥ २ ॥ जो वस्त्रादि से हवा न करता है, न करवाता है, वनस्पतिकाय का छेदन भेदन न करता है न' करवाता है। बीजों के संघट्टे से दूर रहता है और सचित्ताहार का भक्षण नहीं करता। वह भिक्षु है ॥ ३ ॥ " आहार शुद्धि " वहणं तसथावराण होइ, पुढवि-तण-कट्ठ- निस्सियाणं । तम्हा उद्देसियं न भूंजे, नो विपए न पयावए जे स भिक्खू ॥ ४ ॥ पृथ्वी, तृण एवं काष्ठादि की निश्रा में रहे हुए त्रस एवं स्थावर जीवों के वध के कारण से साधु के लिए बने हुए उद्देशिकादि आहार जो साधु नहीं खाता है एवं स्वयं आहार न पकाता है, न दूसरों से पकवाता है। वह साधु है। " श्रद्धापूर्वक आचार पालन ” रोईय- नायपुत्त-वयणे, छप्पिकाय । अत्तसमे मन्त्रेज पंच य फासे महव्वयाइ, पंचासव-संवरए जे स भिक्खू ॥ ५ ॥ श्री दशवैकालिक सूत्रम् / १२०
SR No.022576
Book TitleDashvaikalaik Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayanandvijay
PublisherGuru Ramchandra Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages140
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_dashvaikalik
File Size12 MB
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