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________________ के मूलसूत्रम् निर्देश-स्वामित्व-साधना-धिकरण-स्थिति-विधानतः ॥७॥ सत्-संख्या-क्षेत्र-स्पर्शन-कालान्तर-भावाल्पबहुत्वैश्च ॥ ८ ॥ * हिन्दीपद्यानुवाद निर्देश स्वामित्व, साधन, ये तीन क्रम से जानिये । अधिकरण चौथा स्थिति पंचम, विधान छट्ठा मानिये ॥ सत्पदप्ररूपणा सप्तम, संख्या अष्टम जानना । क्षेत्र स्पर्शन काल अन्तर, भाव क्रमशः मानना ।। ७ ।। अल्प-बहुत्व चौदहवाँ है, ज्ञान सम्यग् जानिये । प्रमाण और नय के सभी, ये भेद सम्यग् मानिये ॥ इन सभी के ज्ञान द्वारा, सत्य अन्वेषण करें। ऋजुभाव से फिर जीव ये, भवसिन्धु तरे मुक्ति वरे ।। ८ ॥ 卐 मूलसूत्रम् मति-श्रुता-ऽवधि-मनःपर्याय-केवलानि ज्ञानम् ॥ ६ ॥ तत् प्रमाणे ॥१०॥ आद्ये परोक्षम् ॥ ११ ॥ प्रत्यक्षमन्यद् ॥ १२॥ * हिन्दीपद्यानुवाद मतिज्ञान पहला श्रुत दूसरा, अवधि तीसरा कहा । चौथा मनःपर्यव तथा, कहा पाँचवाँ केवल मही । ज्ञान ये ही प्रमाण के, परोक्ष-प्रत्यक्ष भेद हैं। मति-श्रुत में परोक्ष है, शेष तीनों में प्रत्यक्ष है ।। ६ ।। ॐ मूलसूत्रम् मतिः स्मृतिः संज्ञा-चिन्ताभिनिबोध इत्यनर्थान्तरम् ॥ १३ ॥
SR No.022532
Book TitleTattvarthadhigam Sutraam Tasyopari Subodhika Tikat tatha Hindi Vivechanamrut Part 01 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaysushilsuri
PublisherSushil Sahitya Prakashan Samiti
Publication Year1994
Total Pages166
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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