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________________ तृतीयाध्यायः [ ७७ विभयमाणे । जम्बूद्वीप० सूत्र १५. जम्बुद्दीवे छ वासहरपव्वता पण्णत्ता, तंजहा-चुल्लहिमवंते महाहिमवंते निसढे नीलवंते रुप्पि सिहरी। स्थानांग स्थान ६ सूत्र ५२४. छाया- विभज्यमानः। जम्बूद्वीपे षट् वर्षधरपर्वताः प्रज्ञप्तास्तद्यथा-क्षुद्रहिमवान्, महा हिमवान् , निषिधः, नीलवान, रुक्मिः, शिखरी। भाषा टीका - जम्बूद्वीप में उन सात क्षेत्रों को बांटने वाले (पूर्व से पश्चिम तक लम्बे) छै कुलाचल पर्वत हैं । वह इस प्रकार हैं - छोटा हिमवान् , महाहिमवान्, निषिध, नील, रुक्मि और शिखरी। हेमार्जुनतपनीयवैडूर्यरजतहेममयाः । मणिविचित्रपार्था उपरि मूले च तुल्यविस्ताराः। ३. १३. चुल्लहिमवंते जंबुद्दीवे.......सव्वकणगामए अच्छे सण्हे तहेव जाव पडिरूवे । इत्यादि । जम्बू० वक्षस्कार ४ सू० ७२. महाहिमवंते णाम......सव्वरयणामए । जम्बू० स० ७६. निसहे णाम.......सव्वतपणिज्जमए । जम्बू सू० ८३. णीलवंते णाम.......सव्ववेरूलिमामए । जम्बृ० सू० ११०. रूप्पिणाम...... सव्वरूप्पामए । जम्बू० सू०१११.
SR No.022531
Book TitleTattvartha Sutra Jainagam Samanvay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaram Maharaj, Chandrashekhar Shastri
PublisherLala Shadiram Gokulchand Jouhari
Publication Year1934
Total Pages306
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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