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सप्तमोऽध्यायः
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उग्गहअणुण्णवणया उग्गहसीमजाणणया सयमेव उग्गहं अणुगिरहणया साहम्मियउग्गहं अणुण्णविय परिभुंजणया साहारणभत्तपाणं अणुण्णविय पडिभुंजणया।
____ समवायांग समय २५. छाया- अवग्रहानुज्ञापना, अवग्रहसीमापरिज्ञानता, स्वयमेव अवग्रहः अनु
ग्रहणता, साधर्मिकावग्रहः अनुज्ञाप्य परिभोजनता, साधारणभक्तपानं
अनुज्ञाप्य परिभोजनता । भाषा टीका-ठहरने की आज्ञा लेना, ठहरने की सीमा को जानना, स्वयं ही ठहर कर स्थान को स्वीकार करना, साधर्मियों को ठहराना और उनकी आज्ञा से भोजन करना, साधारण भोजन और पीने की वस्तु के विषय में अनुमति लेकर भोजन करना । ___ संगति- सूत्र में और इनमें केवल शाब्दिक भेद ही है। यह पांच अचौर्यमहाव्रत की भावनाएं हैं।
स्त्रीरागकथाश्रवणतन्मनोहराङ्गनिरीक्षणपूर्वरतानुस्मरणवृष्येष्टरसस्वशरीरसंस्कारत्यागाः पञ्च ।
७, ७.
इत्थीपसुपंडसंसत्तगसयणासणवजणया इत्थीकहववञ्जणया इत्थीणं इंदियाणमालोयणवजणया पुव्वरयपुव्वकोलिआणं अणणुसरणया पणीताहारववजणया ।
समवायांग समय २५. छाया- स्त्रीपशुपण्डकसंसक्तशय्यासनवर्जनता स्त्रीकथाविवर्जनता स्त्रोणामि...न्द्रियाणामालोकनवर्जनता पूर्वरतपूर्वक्रीडाना अनुस्मरणता प्रणी
ताहारवर्जनता । भाषा टीका-स्त्री, पशु तथा नपुसकों से लगे हुए शय्या तथा आसन को छोड़ना,