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________________ तृतीयाध्याय: [ ८३ जंबुद्दीवे सत्त महानदीओ पुरत्थाभिमुहीमो लवणसमुदं समुप्पेंति, तं जहा- गंगा रोहिता हिरी सीता णरकंता सुवरणकूला रत्ता । जंबुद्दीवे सत्त महानदीओ पञ्चस्थाभिमुहीओ लवणसमुदं समुप्पेंति, तं जहा-सिंधू रोहितंसा हरिकता सीतोदा णारीकंता रुप्पकूला रत्तवती । स्थानांग स्थान ७ सूत्र ५५५. छाया- जम्बूद्वीपे सप्त महानयः पूर्वाभिमुख्यः लवणसमुद्र समुपयान्ति, तद्यथा- गंगा रोहित् हरित् सीता नारी सुवर्णकूला रक्ता। जम्बूद्वीपे सप्त महानद्यः पश्चिमाभिमुख्यः लवणसमुद्रं समुपयान्ति, तद्यथा-सिन्धु रोहितास्या हरिकान्ता सीतोदा नरकान्ता रूप्यकूला रक्तोदा। भाषा टीका - जम्बूद्वीप में सात महानदियां पूर्वाभिमुख होकर लवण समुद्र में गिरती हैं । वह यह हैं - गङ्गा, रोहित, हरित, सीता, नारी, सुवर्णकूला और रक्ता। जम्बूद्वीप में सात महानदियां पश्चिमाभिमुख होकर लवण समुद्र में गिरती हैं। वह यह हैंसिन्धु, रोहितास्या, हरिकान्ता, सीतोदा, नरकान्ता, रूप्यकूला, और रक्तोदा । चतुर्दशनदीसहस्रपरिवृता गंगासिन्ध्वादयो नद्यः॥ ३, २३. जंबुद्दीवे भरहेरवएसु वासेसु कइ महाणइओ पण्णत्ताओ । गोअमा! चत्तारि महाणईओ पण्णत्ताओ, तं जहा-गंगा सिंधू रत्ता रत्तवई । तत्थ णं एगमेगा महाणई चउद्दसहिं सलिलासहस्सेहिं समग्गा पुरस्थिमपञ्चत्थिमे णं लवणसमुदं समुप्पेइ । जम्बु० प्र० वक्षस्कार ६ सू० १२५. छाया- जम्बूद्वीपे भरतैवरावतयोः वर्षयोः कति महानद्यः प्रज्ञप्ताः । गौतम!
SR No.022531
Book TitleTattvartha Sutra Jainagam Samanvay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaram Maharaj, Chandrashekhar Shastri
PublisherLala Shadiram Gokulchand Jouhari
Publication Year1934
Total Pages306
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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