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________________ तत्वार्थ सूत्र जैनाऽऽगमसमन्बय : चतस्रः महानद्यः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा - गंगा सिन्धुः रक्ता रक्तोदा । तत्र एकैका महानदी चतुर्दशाभिः सलिलासहस्राभिः समग्राः पौरस्त्यपाश्चात्ययोः लवरणसमुद्र समुपयान्ति । प्रश्न - -लम्बूद्वीप के भरत और ऐरावत क्षेत्रों में कितनी महा नदियां हैं ? - उत्तर - गौतम ! वहां चार महा नदियां हैं, वह यह हैं – गङ्गा, सिन्धु, रक्ता, रक्तोदा । इनमें से एक २ महानदी चौदह २ हजार नदियों सहित पूर्व और पश्चिम लवणसमुद्र में जाती हैं। ८४ ] भरतः षड्विंशतिपञ्चयोजनशतविस्तारः षट चैकोनविंशतिभागा योजनस्य । छाया जंबुद्दीवे दीवे भरहे णामं वासे... जंबुद्दीवदीवणउयसयभागे पंचवीसे जोणसच्च एगुणवीसइभाए जो मणस्सविक्खंभेणं । जम्बू सू० १०. जम्बूद्वीपे द्वीपे भरतः नाम वर्षः जम्बूद्वीपद्वीपनबतिशतभागः पञ्च षड्विंशतियोजनशतः षट् च एकोनविंशतिभागः योजनस्य विष्कम्भः । भाषा टीका - जम्बूद्वीप में भरत क्षेत्र उसका एक सौ नव्वेवां भाग है। इसका विस्तार ५२६ योजन है । ६ १६ ३, २४. संगति अनुवाद है। — - इन सब आगम प्रमाणों से सिद्ध होता है कि सूत्र आगम का ही संक्षिप्त तद्विगुणद्विगुणविस्तारा वर्षधरवर्षा विदेहान्ताः । ३, २५. जंबुद्दीपपण्णत्तीए वासावासहराणं महाविदेहपेरंतं विउविउणवित्थारेां वरिण । पस्संतु उत्तसुत्तं ।
SR No.022531
Book TitleTattvartha Sutra Jainagam Samanvay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaram Maharaj, Chandrashekhar Shastri
PublisherLala Shadiram Gokulchand Jouhari
Publication Year1934
Total Pages306
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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