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________________ मूलजी । और मूलजीके पुत्र सच्यादासजी हुए। इनके पुत्र सारंगजीसे सारंगाणी ढड्डा कहलाये सम्बत १६९५ में जैसलमेरसे उठकर फलोधीमें वास किया। सारंगजीके दो पुत्र रुघनाथमलजी और नेतसीजी हुए । सारंगजी गुजराती लंकागच्छके नायक भागचन्दजीके उपदेशसे सम्बत १७१७ में लूंकागच्छके अनुयायी हुए । नेतसीजीके ६ पुत्र खेतसीजी बुधमानजी अभयराजजी हेम जजी खीवरॉजजी बछर्राजजी हुये। (१) खेतसीजीके ४ पुत्र रतनंसीजी तिलोकसीजी बिमलैंसीजी करमसीजी। (२) तिलोकसीजीने हुलकरको मदद दी । और जो द्रव्य उसको लूटमें मिला उसका चौथा हिस्सा तिलोकसीजीको मिला । तिलोकसीजीके चार पुत्र पदमसीजी धरमसीजी अमरसीजी टीकमसीजी । (१) पदमसीजीके तीन पुत्र राजसीजी गुमानसीजी ज्ञानसीजी उपनाम तेजसीजी । (२) ज्ञानसीजीके पुत्र सदासुखजी उपनाम नैणसीजी । सदासुखजीके पुत्र उदयमलजी। उदयमलजीके पुत्र राय बहादुर सोभागमलजी उपनाम चिमनसीजी संबत १९२७ मे खोले आये जिनका चित्र इस किताबमें मोजूद है। सोभागमलजीके पुत्र कुंवर कल्याणमलजी संबत १९६१ में खोले आया इति । ले० कुंवर कल्याणमल्लजी ढवा.
SR No.022455
Book TitleNyaya Tirth Prakaranam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNyayvijay
PublisherNirnaysagar Press
Publication Year1913
Total Pages96
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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