SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 6
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ विषयसूची। प्रथम प्रकाश । पृष्ठ. पंक्ति . ५ १ ... २ ११ ७ मङ्गलाचारके प्रयोजन. ... ... ... ... .... मङ्गल. ... ... ... ग्रन्थारंभका उपोद्धात. ... उद्देशका लक्षण. लक्षणका लक्षण तथा प्रकार. ... नैयायिकोक लक्षणका लक्षण. ... और उसका खण्डन. ... अव्याप्ति, अतिव्याप्ति, असंभवका लक्षण. परीक्षाका लक्षण. ... ... ... ... ... ... प्रमाणसामान्यका लक्षण. ... ... ... ... ... प्रमाणलक्षणगत 'सम्यक्' शब्दकी सफलता. ... ... संशय, विपर्यय, अनध्यवसाय-मिथ्या ज्ञानोंका लक्षण.... प्रमाणलक्षणगत 'ज्ञान' शब्दकी सार्थकता प्रमाणके लक्ष णको इंद्रियादिकमें चले जानेकी शंका. ... ... इस शंकाका परिहार. ... ... ... ... ... प्रमाण लक्षणको भट्टद्वारा मानेहुए धारावाही ज्ञानमें __ अतिव्याप्त होनेकी आशंका. ... ... ... इसका उत्तर. ... ... ... ... ... ... दृष्टवस्तु विस्मृत होजानेपर उसको फिरसे जाननेवाला ज्ञान प्रमाण न होना चाहिये ऐसी शंका और इसका समाधान. ... ... ... ... ... प्रमाणलक्षणकी निर्विकल्पज्ञानमें अतिव्याप्ति होनेसे रोकना. ... ... ... ... ... ... प्रमाणमें प्रमाणपना क्या है? ... ... ... ... १२ १४ १४ १५
SR No.022438
Book TitleNyaya Dipika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBansidhar Shastri
PublisherJain Granth Ratnakar Karyalay
Publication Year1913
Total Pages146
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy