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________________ __ ( ३४ ) विरुद्धपूर्वचरोपलीब्धका उदाहरणविरुद्धपूर्वचरोपलब्धिर उदाहरण-- नोदेष्यति मुहूतीते शकटं रेवत्युदयात् ॥७॥ हिंदी-एक मुहूर्तके वाद रोहिणीका उदय न होगा क्योंकि इससमय रोहिणीसे विरुद्ध अश्विनी नक्षत्रसे पहले उदय होनेवाले रेवती नक्षत्रका उदय है अर्थात् रेवतीका उदय अश्विनी नक्षत्रसे पहले होता है इसलिये वह अश्विनीके उदयको ही जनावेगा रोहिणी आदिके उदयको नहीं ॥७५॥ बंगला-एक मुहूर्तेर ( दुइघटिकार ) पर रोहिणीनक्षत्र उदय हइबेना ये हेतु एसमये रोहिणीर विरुद्ध अश्विनीनक्षत्रेर पूर्व याहार उदय हय सेइ रेवती नक्षत्रेर उदय विद्यमान । अर्थात् रेवतीनक्षत्रेर उदय अश्विनी नक्षत्रेर पूर्वे हय एजन्य से अश्विनी नक्षेत्ररई उदय जानाय किंतु रोहिणी प्रभृतिर उदयेर अनुमान करायना ॥७५॥ विरुद्धउत्तरचरापलब्धिका उदाहरण विरुद्ध उत्तरचरोपलब्धिर उदाहरण-- नोदगाद्भरणिर्मुहुर्तात्पूर्व पुष्योदयात् ॥७६॥ हिंदी-मूहूर्तके पहिले भरणिका उदय नहिं हुआ क्योंकि इससमय भरणीके उदयसे विरुद्ध पुनर्वसुके पीछे होने वाले पुष्य नक्षत्रका उदय है अर्थात् पुष्य नक्षत्रका उदय पुनर्व
SR No.022437
Book TitlePariksha Mukham
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManikyanandisuri, Gajadharlal Jain, Surendrakumar
PublisherBharatiya Jain Siddhant Prakashini Samstha
Publication Year1916
Total Pages90
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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