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________________ ( ३१ ) हिंदी - मूहूर्तके पश्चात् शकट ( रोहिणी ) का उदय होगा क्योंकि इससमय कृतिकाका उदय है यहां पर पूर्वचर कृतिकाके उदयसे उत्तरचर रोहिणी के उदयका अनुमान किया गया है क्योंकि रोहिणी चौथा नक्षत्र है और कृत्तिका तीसरा नक्षत्र है ॥ ६८ ॥ बंगला - एक मुहूर्त्तेर पश्चात् रोहिणीनक्षत्रेर उदय हइबे, ये हेतु एइ समय कृत्तिकार उदय हइयाछे । ए स्थले पूर्वचर कृतिकार उदय हइते उत्तरचर रोहिणीर उदयहइबार अनुमान करा हइयाछे केनना रोहिणी चतुर्थनक्षत्र, कृतिका तृतीय नक्षत्र ॥ ६८ ॥ अविरुद्धउत्तरचरोपलब्धिका उदाहरण-अविरुद्धउत्तरचरोपलब्धिर उदाहरण उदगाद्भरणिः प्राक्तत एव ।। ६९ ।। हिंदी -भरण का उदय हो चुका क्योंकि इससमय कृतिकाका उदय है यहां उत्तरचर कृतिकाके उदयसे पूर्वचर भरणीके उदयका अनुमान किया गया है क्योंकि भरणि दूसरा नक्षत्र है और कृतिका तीसरा है ॥ ६९ ॥ बंगला — भरणिनक्षत्रेर उदय हइया गियाछे । ये हेतु es समय कृतिकार उदय विद्यमान । एखाने उत्तरचर कृति - कार उदय हइते पूर्वचर भरणिर उदयेर अनुमान करा गेलं | नना भरणी द्वितीय नक्षत्र एवं कृतिका तृतीय नक्षत्र ॥ ६९ ॥
SR No.022437
Book TitlePariksha Mukham
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManikyanandisuri, Gajadharlal Jain, Surendrakumar
PublisherBharatiya Jain Siddhant Prakashini Samstha
Publication Year1916
Total Pages90
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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