________________
गुण लक्षण.
(७) जो बांधनादि अनेक कार्य होते हैं. वह सामर्थ्य पर्याय है. अस्तिरूप पर्याय है वह वस्तु स्वरूप है. और सामर्थ्य पर्याय है वह प्रवर्तनात्मक कार्यरूप है. उस अस्तिरूप पर्याय के समुदाय को गुण कहते हैं. अस्तिरुप पर्याय के अविभाग का वरणन योगस्थान, समयस्थान में है. और भिन्न कार्य करने का जिसमें सामर्थ्य है ऐसे अविभागरूप आत्मप्रदेश में वर्तते हुवे जो पर्याय वे भिन्न गुण के पर्याय समझने जैसे ( १ अविभागवीर्य सामर्थ्यरूप पर्याय है उस अनन्त पर्यायो का समुदाय वह वीर्यगुण (२) जानना रूप सामर्थ्य है जिसमें ऐसे जो अविभागरुप पर्याय उस अनन्त पर्याय का समुदाय वह ज्ञानगुण. ऐसे गुण एक द्रव्य में अनन्ते हैं. उस एक गुण के प्रत्येक प्रदेश में अविभागरूप पर्याय अनन्त है. और सब प्रदेशो में सरीखे हैं. तथापि पंचास्तिकाय में एक अगुरुलघु पर्याय का भेद तारतम्य योगवाला है. और पुद्गल परमाणु में काल भेद से अथवा द्रव्य भेद से वर्णादि पर्याय का तारतम्य योग है. वे पर्याय अस्तिरूप है कोई पर्याय द्रव्यान्तर में नहीं जाता और प्रदेशान्तर में भी नहीं जाता. अस्तिपर्याय से सामर्थ्यपर्याय अनन्त गुण है. और वे कार्यरुप है. तथाच-महाभाष्ये-यावन्तो ज्ञेयास्तावन्तैव ज्ञान पर्यायाः ते चास्तिरुपाः प्रतिवस्तुनि अनन्तास्ततोप्यनन्त गुणाः सामर्थ्यपर्यायाः
... तत्र द्रव्यलक्षणं-उत्पाद व्यय ध्रुव युक्तं सल्लक्षणं द्रव्यं, एतद् द्रव्यास्तिक पर्यायास्तिकोभयनयापेक्षया लक्षणं, गुणपर्यायवत् द्रव्यं एतत् पर्यायनयापेक्षया, अथ क्रिया