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________________ १६०] -- पञ्चाध्यायी। [दूसरा अर्थ-इत्यादि अनन्त धोको धारण करनेवाला आठों कर्मोंसे रहित. अठारह दोषोंसे रहित, देव पूजने योग्य है। जिसमें उपर्युक्त गुण नहीं पाये जाते वह नहीं पूजने योग्य है। अर्धादकः स एवास्ति श्रेयो मागोपदेशक: आप्तश्चैव स्वतः साक्षान्नेता मोक्षस्य वमनः ॥ ६२० ।। अर्थ-अर्थात् वही देव सन्ना गुरु है, वही मोक्ष मार्गका उपदेश देनेवाला है वही आप्त है, और वही मोक्ष मार्गका साक्षात् नेता ( प्राप्त कराने वाला ) है । गुरुका स्वरूप---- तेभ्यो गपि छद्मस्थरूपास्तद्रपधारिणः। ___गुरवःस्युर्गुरोर्यायान्नान्योऽवस्था विशेषभाक् ॥ ६२१ ॥ अर्थ-उन गुरुओंसे नीचे भी जो अल्पज्ञ हैं, परन्तु उसी वेशको लिये हुए हैं; वे भी गुरु हैं। गुरुका लक्षण उनमें भी वैसा ही है, और कोई अवस्थाविशेषवाला नहीं है। __ अस्त्यवस्थाविशषोत्र युक्तिस्वानुभवागमात् । शेषः संसारिजीवेभ्यस्तेषामेवातिशायनात् ।। ६२२॥ अर्थ-गुरुओंमें संसारीजीवोंसे कोई अवस्था-विशेष है यह बात युक्ति अनुभव और आगमसे प्रसिद्ध है। उनमें संसारियोंसे विशेष अतिशय है । भाविनैगमनयायत्तो भूष्णुस्तद्वानिवष्यते । ___ अवश्यं भावतो व्याः सद्भावात् सिद्धसाधनम् ।। ६२३ ॥ अर्थ-भावि नैगम नयकी अपेक्षासे जो होनेवाला है, वह हुआ सा ही समझा जाता है। भाव ( गुण ) की व्याप्तिका सद्भाव होनेसे यह बात सिद्ध हो जाती है, अर्थात् जो गुण अरहन्तमें हैं वे ही गुण एक देशसे ( अंशरूपसे) छद्मस्थ गुरुओंमें भी मौजूद हैं। अस्ति सद्दर्शनं तेषु मिथ्याकर्मोपशान्तिः । चारित्रं देशतः सम्यक्चारित्रावरणक्षतेः ॥ ६२४ ॥ अर्थ--उन छमस्थ गुरुओंमें भी मिथ्यात्व कर्मके उपशम होनेसे सम्यग्दर्शन गुण प्रकट हो चुका है और चारित्र मोहनीय कर्मका ( अनन्तानुवंधि, अप्रत्याख्यान, प्रत्याख्यान, संज्वलन कषायोंका ) क्षय होनेसे एकदेश सम्यक्चारित्र भी प्रकट हो चुका है। ततः सिद्धं निसर्गादै शुद्धत्त्वं हेतुदर्शनात् ।। मोहकर्मोदयाभावात्तत्कार्यस्याप्यसंभवात् ॥ ६२५ ।। अर्थ--इसलिये स्वभावसे ही उन गुरुओंमें शुद्धता पाई जाती है यह वात हेतुद्वारा सिद्ध हो चुकी क्योंकि मोहनीय कर्मके उदयका अभाव होनेसे उसका कार्य भी असंभव है।
SR No.022393
Book TitlePanchadhyayi Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMakkhanlal Shastri
PublisherGranthprakash Karyalay
Publication Year1918
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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