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________________ ५१४) शुभ रस नामकर्म किसे कहते है ? उत्तर : जिस कर्म के उदय से जीव के शरीर में आम्रफल आदि के समान शुभ रस हो, उसे शुभ रस नामकर्म कहते है। आम्ल, मधुर और कषाय ये तीन शुभ रस नामकर्म हैं। ५१५) शुभ स्पर्श नामकर्म किसे कहते है ? उत्तर : जिस कर्म के उदय से जीव के शरीर में स्निग्ध आदि शुभ स्पर्श हो, उसे शुभ स्पर्श नामकर्म कहते है । शुभ स्पर्श ४ हैं - स्निग्ध, उष्ण, मृदु, लघु । ५१६) अगुरुलघु नामकर्म किसे कहते है ? उत्तर : जिस कर्म के उदय से जीव का शरीर न तो लोहे के समान अतिभारी हो और न ही अर्कतूल (आक की रूई) के समान अति हल्का हो, उसे अगुरुलघु नामकर्म कहते है। ५१७) पराघात नामकर्म किसे कहते है ? उत्तर : जिस कर्म के उदय से जीव को इस प्रकार की मुखमुद्रा प्राप्त होती है कि उसकी तेजस्विता से बलवान पुरुष भी क्षोभ तथा घबराहट को अनुभव करता है, उसे पराघात नामकर्म कहते है । इस प्रकार की आकृति पराघात नामकर्म के उदय से प्राप्त होती है। ५१८) श्वासोच्छास नामकर्म किसे कहते है ? उत्तर : जिस कर्म के उदय से जीव श्वासोच्छास योग्य पदगल वर्गणाओं को ग्रहण कर उसे श्वासोच्छास रूप में परिणमित करता है और बाहर निकालता है, उस शक्ति को श्वासोच्छ्वास नाम कर्म कहते है । ५१९) आतप नामकर्म किसे कहते है ? उत्तर : जिस कर्म के उदय से जीव का शरीर उष्ण न होकर भी अन्य जीव को उष्णता प्रदान करता है, उसे आतप नामकर्म कहते है । सूर्यमण्डल में रहने वाले पृथ्वीकायिक जीवों के ऐसा ही शरीर होता हैं । ५२०) उद्योत नामकर्म किसे कहते है ? उत्तर : जिस कर्म के उदय से जीव का शरीर शीतल प्रकाश प्रदान करता है, २४८ श्री नवतत्त्व प्रकरण
SR No.022327
Book TitleNavtattva Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNilanjanashreeji
PublisherRatanmalashree Prakashan
Publication Year
Total Pages400
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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