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________________ २६३) नारकी के चौदह भेद कौन-कौन से हैं ? उत्तर : (१) घम्मा, (२) वंशा, (३) शैला, (४) अञ्जना, (५) रिट्ठा, (६) मघा, (७) माघवती, इन सात नरकों मे रहने वाले जीवों के पर्याप्त व अपर्याप्त भेद से नारकी जीवों के १४ भेद होते हैं । २६४) तिर्यञ्च के ४८ भेद कौन से हैं ? उत्तर : एकेन्द्रिय के २२, विकलेन्द्रिय के ६ तथा तिर्यञ्च पंचेन्द्रिय के २०, ये कुल मिलाकर तिर्यञ्च के ४८ भेद हैं । २६५ ) एकेन्द्रिय के २२ भेद कौन से हैं ? उत्तर : पृथ्वी, अप्, तेउ, वायु इन चारों के सूक्ष्म - बादर, और इन दोनों के अपर्याप्त और पर्याप्त, ये भेद होने से कुल १६ भेद तथा वनस्पति के तीन भेद - सूक्ष्म, प्रत्येक, साधारण । इन तीनों के अपर्याप्त तथा पर्याप्त, ये दो-दो भेद होने से कुल १६ + ६ २२ भेद एकेन्द्रिय के हैं । २६६ ) विकलेंद्रिय को ६ भेद कौन से हैं ? = उत्तर : विकलेंद्रिय के ३ भेद हैं - बेइन्द्रिय- तेइन्द्रिय- चतुरिन्द्रिय । इन तीनों के अपर्याप्त तथा पर्याप्त, इन दो-दो भेदों की अपेक्षा कुल ३ x २ = ६ भेद होते हैं । २६७) तिर्यञ्च पंचेन्द्रिय के २० भेद कौन से हैं ? उत्तर : तिर्यञ्च पंचेन्द्रिय के पांच भेद हैं - जलचर, स्थलचर, खेचर, उरपरिसर्प, भुजपरिसर्प । इन पांच के संज्ञी असंज्ञी, इन दो-दो भेदों की अपेक्षा - से कुल १० भेद हुए । इन दसों के अपर्याप्त तथा पर्याप्त इन दों भेदों से कुल १० x २ = २० भेद होते हैं । २६८ ) जलचर किसे कहते हैं ? उत्तर : जल में चरहने वाले जीव जलचर कहलाते हैं । जैसे मगर, कछुआ आदि । २६९) स्थलचर किसे कहते हैं ? उत्तर : स्थल (पृथ्वी) पर चलने वाले जीव स्थलचर कहलाते हैं । जैसे- गाय, भैंस आदि । २७०) खेचर किसे कहते हैं ? श्री नवतत्त्व प्रकरण २०१
SR No.022327
Book TitleNavtattva Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNilanjanashreeji
PublisherRatanmalashree Prakashan
Publication Year
Total Pages400
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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