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________________ उत्तर : ६ प्राण होते हैं - १. स्पर्शनेन्द्रिय, २. रसनेन्द्रिय, ३. वचनबल, ४. कायबल, ५. श्वासोच्छास, ६. आयुष्य । २५५) अपर्याप्ता तेइन्द्रिय जीवों में कितने प्राण होते हैं ? उत्तर : इन जीवों में आयुष्य, कायबलप्राण, स्पर्शनेन्द्रिय, रसनेन्द्रिय, घ्राणेन्द्रिय ये ५ प्राण ही होते हैं। २५६) पर्याप्ता तेइन्द्रिय के कितने प्राण होते हैं ? उत्तर : पर्याप्ता तेइन्द्रिय के सात प्राण होते हैं - तीन इन्द्रिय - स्पर्शनेन्द्रिय, रसनेन्द्रिय, घ्राणेन्द्रिय । दो बल - कायबल, वचनबल । श्वासोच्छास और आयुष्य । २५७) अपर्याप्ता चतुरिन्द्रिय जीवों में कितने प्राण होते हैं ? उत्तर : अपर्याप्ता चतुरिन्द्रिय जीवों में १. आयुष्य, २. कायबल, ३. स्पर्शन, ४. रसना, ५. घ्राण, ६. चक्षु - ये ६ प्राण होते हैं । २५८) पर्याप्त चतुरिन्द्रिय के कितने प्राण होते हैं ? . उत्तर : पर्याप्त चतुरिन्द्रिय के पर्याप्ता तेइन्द्रिय के ७ प्राण व चक्षुरिन्द्रिय सहित ८ प्राण होते हैं। २५९) अपर्याप्ता असंज्ञी पंचेन्द्रिय जीवों में कितने प्राण होते हैं ? उत्तर : उपरोक्त ६ व ७ वां श्रोत्रेन्द्रिय प्राण होता है। अपर्याप्ता असंज्ञी पंचेन्द्रिय को भी ७ ही प्राण होते हैं। २६० ) पर्याप्त असंज्ञी पंचेन्द्रिय के कितने प्राण होते हैं ? उत्तर : पर्याप्त चतुरिन्द्रिय के ८ प्राण एवं श्रोत्रेन्द्रिय सहित नौ प्राण पर्याप्त असंज्ञी पंचेन्द्रिय के होते हैं। २६१ ) पर्याप्त संज्ञी पंचेन्द्रिय के कितने प्राण होते हैं ? उत्तर : पर्याप्त असंज्ञी पंचेन्द्रिय के ९ प्राण एवं मनोबल सहित १० प्राण पर्याप्त __संज्ञी पंचेन्द्रिय के होते हैं। २६२ ) जीव के उत्कृष्ट भेद कितने हैं ? उत्तर : जीव के उत्कृष्ट ५६३ भेद हैं । नारकी के १४, तिर्यञ्च के ४८, मनुष्य के ३०३ तथा देवता के १९८ भेद, ये कुल भेद ५६३ होते हैं। ----------- २०० श्री नवतत्त्व प्रकरण
SR No.022327
Book TitleNavtattva Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNilanjanashreeji
PublisherRatanmalashree Prakashan
Publication Year
Total Pages400
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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