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________________ २२६) कौन सा प्राण किस पर्याप्ति द्वारा उत्पन्न होता है ? उत्तर : ५ इन्द्रिय प्राण - मुख्य रूप से इन्द्रिय पर्याप्ति द्वारा । १. कायबल प्राण - मुख्य रूप से शरीर पर्याप्ति द्वारा । १. वचनबल प्राण - मुख्य रूप से भाषा पर्याप्ति द्वारा । १. मनोबल प्राण - मुख्य रूप से मनःपर्याप्ति द्वारा । १ श्वासोच्छास प्राण - मुख्य रूप से श्वासोच्छवास पर्याप्ति द्वारा । १ आयुष्य प्राण - इस में आहारादि पर्याप्ति सहचारी-उपकारी कारण रूप है। २२७) इन्द्रिय प्राण किसे कहते हैं ? उत्तर : इन्द्रियों के द्वारा मिलने वाली शक्ति को इन्द्रिय प्राण कहते हैं । २२८) योग किसे कहते हैं ? उत्तर : मन, वचन तथा काया के व्यापार को योग कहते हैं। २२९) बल प्राण किसे कहते हैं ? उत्तर : तीन योग से मिलने वाली शक्ति-बल को बलप्राण कहते हैं। २३०) बल प्राण से क्या अभिप्राय हैं ? उत्तर : १. मनोबल प्राण - विचार करने की शक्ति । २. वचनबल प्राण – बोलने की शक्ति । ३. कायबल प्राण - शरीर की शक्ति । २३१) श्वासोच्छ्वास प्राण किसे कहते हैं ? उत्तर : श्वासोच्छ्वास वर्गणा के पुद्गलों को शरीर में ग्रहण करने और बाहर निकालने की शक्ति को श्वासोच्छ्वास प्राण कहते हैं। २३२) आयुष्य प्राण किसे कहते हैं ? उत्तर : जिसके संयोग से एक शरीर में अमुक समय तक जीव रहता है तथा जिसके वियोग से जीव (आत्मा) उस शरीर में से निकल जाय. उसे आयुष्य प्राण कहते है। २३३) आयुष्य प्राण के कितने भेद हैं ? उत्तर : आयुष्य प्राण के दो भेद हैं - १. द्रव्य आयुष्य, २. काल आयुष्य, १९६ श्री नवतत्त्व प्रकरण
SR No.022327
Book TitleNavtattva Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNilanjanashreeji
PublisherRatanmalashree Prakashan
Publication Year
Total Pages400
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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