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________________ ...जैन . - अनंत __अनंत सिन्हा लोकाग्रभाग दर्शनौनुसार विश्वदर्शन - १४ राजलोक - अलोक अनंत - सिद्धशिला MM १४ उ ५ अनुत्तर TEk- नव ग्रैवेयक अ स्- १२ वैमानिक लो देवलोक का का नव बEE लोकान्तिक N३ किल्बिषिक EMBEDDINE अनंत अलोकाकाश - अँचर ज्योतिष __ वाणव्यतंर व्यंतर -मेरु पर्वत चक्र अ ध्य१०भवनपति 2- असंख्य द्धीप समुद्र + नरक१ लोक १५परमाधामी ७ तिर्खा १०तिर्यग जुंभक/ लोक. शका प्रमा नं का नरक घनोदधिरलय घनवातवलय तनवातवलय वालुका प्रमा नरक३ | अलो 9 ईल'FTER | पंक प्रभा नरक४ प्रभा नरक५ तम प्रभा | तमस्तरमा अलोक त्रसनाडी ---- ---- ------ श्री नवतत्त्व प्रकरण अलोक --- - १३५
SR No.022327
Book TitleNavtattva Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNilanjanashreeji
PublisherRatanmalashree Prakashan
Publication Year
Total Pages400
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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