SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 203
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ . अथ जन्मचर्या नाम अष्टमोल्लासः : 201 संक्रान्ति के अवसर पर जिनको सर्पदंश हो जाए वह वह मृत्यु के बाद देवाङ्गनाओं के साथ क्रीड़ा करता है। अथ तिथिविचारः पञ्चमीषष्ठिकाष्टम्यो नवमी च चतुर्दशी। अमावास्यापयवश्यं स्याद्दष्टानां मृतिहेतवे। 153॥ यदि पञ्चमी, षष्ठी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या- इनमें किसी भी तिथि को सर्पदंश हो तो वह व्यक्ति अवश्य मर जाता है। अथ राशिविचारः मीनचापद्वये कुम्भवृषयोः कर्कटाजयोः। कन्यामिथुनयोः सिंहालिनो गतुलाख्ययोः॥ 154॥ एकान्तरा द्वितीयाद्या दग्धाः स्युस्तिथयः क्रमात्। एतद्योगयुते चन्द्रे दष्टानां जीवसंशयः ।। 155॥ यदि मीन या धनु राशिगत चन्द्र हो तो द्वितीया तिथि; कुम्भ या वृषभ राशि में हो तो चतुर्थी; कर्क या मेष राशि में हो तो षष्ठी; कन्या या मिथुन राशि में हो तो अष्टमी, सिंह या वृश्चिक राशि में हो तो दशमी और मकर या तुला राशि में सर्पदंश हो तो द्वादशी तिथि दग्ध कही जाती है। इस प्रकार से चन्द्रयोग से दग्ध हुई तिथि के दिन जिसे सर्पदंश हो तो वह जीवित रहेगा अथवा नहीं, इस बात का सन्देह कहना चाहिए। अथ नक्षत्र विचारः मूलाश्रूषा मघा पूर्वात्रयं भरणिकाश्विनी। कृत्तिकाा विशाखा च रोहिणी दष्टमृत्युदा॥ 156॥ मूल, अश्रूषा, मघा, पूर्वाफाल्गुनी, पूर्वाषाढ़ा, पूर्वाभाद्रपदा, भरणी, अश्विनी, कृत्तिका, आर्द्रा, विशाखा और रोहिणी- इनमें से किसी भी नक्षत्र में जिसे सर्पदंश हो उसकी मृत्यु होती है। अथ दिग्विचारः नैर्ऋत्याग्नेयका याम्या दिशस्तिस्रो विहाय च। . अन्यदिग्भ्यः समायातैर्दष्टो जीवत्यसंशयम्॥ 157॥ नैर्ऋत्य, आग्नेय और दक्षिण दिशा को छोड़कर किसी अन्य दिशा से आए * गरुडपुराण में आया है कि षष्ठी तिथि में, कर्क एवं मेष राशिगत नक्षत्रों, मूल, आश्लेषा, मघा आदि क्रूर नक्षत्रों में सर्पदंश होने से प्राणी का जीवन समाप्त हो जाता है- षष्ठ्याञ्च कर्कटे मेषे मूलाश्रूषामघादिषु । कक्षाश्रोणिगले सन्धौ शङ्खकर्णोदरादिषु ।। दण्डी शस्त्रधरो भिक्षुर्नग्नादिः कालदूतकः । वक्त्रे बाहौ च ग्रीवायां पृष्ठे च न हि जीवति ॥ (गरुड. पूर्व. 19, 3-4)
SR No.022242
Book TitleVivek Vilas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreekrushna
PublisherAaryavart Sanskruti Samsthan
Publication Year2014
Total Pages292
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy