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________________ 174 : विवेकविलास अश्रूषायां यदा भद्रे कर्के सङ्क्रमते रविः । तदा च प्रचुरा वृष्टिरित्यूचे वाडवो मुनिः ॥ 51 ॥ जिस दिन सूर्य की कर्क राशिगत संक्रान्ति हो उस दिन आश्लेषा नक्षत्र हो तो बहुत वृष्टि हो, ऐसा वाडव मुनि का वचन है। सङ्क्रान्त्यासञ्चरणफलं - तुलासङ्क्रान्तिषट्कं चेत्स्वस्याः स्वस्यास्तिथेश्चलेत् । तदा दुःस्थ जगत्सर्वं दुर्भिक्षडमरादिभिः ॥ 52 ॥ यदि तुला, वृश्चिक, धन, मकर, कुम्भ और मीन- ये छह संक्रान्तियाँ अपनीअपनी तिथि से चलती हों तो दुकाल आदि से सब जगत् को पीड़ा होती है। भौमवारेदीपोत्सवफलं - - दीपोत्सवदिने भौमवारो वह्निभयावहः । सङ्क्रान्तीनां च नैकट्ये शुभकर्मादिकं न हि ॥ 53 ॥ दीपावली के दिन यदि मङ्गलवार हो तो अग्नि का उपद्रव होता है और संक्रान्ति वेला भी समीप हो तो शुभ कार्यादि नहीं करना चाहिए। ज्येष्ठामात्रस्याचिह्नानुसारेणफलं - अस्तस्थानं रवेर्ज्येष्ठजामायां वीक्ष्य चिह्नितम् । तदुत्तरेण चेदिन्दोरस्तस्तच्छुभदं भवेत् ॥ 54 ॥ ज्येष्ठ कृष्णा अमावस्या के दिन सूर्यास्त होने के स्थान को चिह्नित कर दें और शुक्ल पक्ष की द्वितीया को चन्द्र यदि सूर्य से उत्तर की ओर से अस्त हो तो शुभफल कहना चाहिए। * तथा चाषाढे सितेप्रतिपद्दिने पुनर्वसुविचारं यावती भुक्तिराषाढे शुक्लप्रतिपदादिने । पुनर्वसोश्चतुर्मास्यां वृष्टिः स्यात्तावती शुभा ॥ 55 ॥ * वाडवमुनि का कोई ग्रन्थमत ज्योतिषशास्त्र में सम्प्रति प्रचलित नहीं है। गुजरात में वाडव जाति के लोगों ने ज्योतिष का प्रचार किया है, जैसा कि मुहूर्तदीपककार महादेव ने स्वयं को कान्हजी वाडव का पुत्र कहा है- श्रीमदैवतराजपूजितपदः श्रीकाह्रजिद्वाडवः सूनुस्तस्य मुहूर्तदीपमकरोदेनं महादेववित् (श्लोक 58 ) किन्तु महादेव और जिनदत्तजी के बीच लगभग पाँच सौ वर्षों का अन्तराल है। ** नारदीय मयूरचित्रकं में कहा है कि ज्येष्ठ के शुक्ल पक्ष की द्वितीया के चन्द्रमा के उदयकाल पर विचार करें और ज्येष्ठ कृष्णा अमावस्या के सूर्यास्तकाल पर विचार करें। सूर्य से उत्तर में यदि चन्द्रमा हो तो उत्तम समय होता है। यदि मध्य में हो तो मध्यम तथा दक्षिण में हो तो अधम समय जानना चाहिए – चन्द्रोदयन्निरोक्षेत द्वितीयालब्धजन्मनः । ज्येष्ठोत्तरेष्वमायां च भानोरस्तं विलोकयेत् ॥ यद्युत्तरे शशी मध्यम्वायाति दक्षिणेः रवेः । उत्तमो मध्यमो नी : कालः सम्पद्यते तदा ( मयूर. 16, 28-29) T
SR No.022242
Book TitleVivek Vilas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreekrushna
PublisherAaryavart Sanskruti Samsthan
Publication Year2014
Total Pages292
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size22 MB
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