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________________ अथ दीपशयनवरवधूलक्षणजातकादीनां वर्णनं नाम पञ्चमोल्लासः : 135 मित्र के साथ ईर्ष्या करती है। पति के वियोग से प्रसन्न होती है। किसी बहाने से ईर्ष्या करती हो; पति का संयोग होने से दुखानुभूति करती हो; मुँह बहुत मोड़ती हो; शय्या पर आकर ऊँघ जाए; पति के स्पर्श करने से उद्वेग पाती हो और पति के किसी भी काम की प्रशंसा नहीं करती हो तो ये राग सहित स्त्री के लक्षण कहे गए हैं। अन्तर्प्रसङ्गं अन्यजने न प्रकाशयेत् - - विश्रम्भोक्तिमुपालम्भमाङ्गिकं वैकृतं तथा । रतिक्रीडां च कामिन्या नापरासु प्रकाशयेत् ॥ 161 ॥ स्त्री के प्रेमभरे बोल अथवा उसका दिया हुआ उपालम्भ, कटाक्षयुक्त देखना आदि क्रीड़ाओं और उसके साथ रति-क्रीड़ा अन्य किसी स्त्री या पुरुष को नहीं बतानी चाहिए। अन्यदपि ---- कामिन्या वीक्ष्यमाणाया जुगुप्साजनकं बुधः । लेष्मक्षेपादि नो कुर्याद्विरज्येते तथाहि सा ॥ 162 ॥ सुविज्ञ को स्त्री के देखते हुए कभी दुर्भावना उपजाने वाला कार्य नहीं करना चाहिए न ही लेष्म से भरी अपनी नाक साफ करने को उद्यत होना चाहिए। इससे नारी में विरक्त होती है । दत्ते यां कन्यकां यस्मै माता भ्राता पिताथवा । देवतेव तया पूज्यो गतसर्वगुणोऽपि सन् ॥ 163 ॥ माता-पिता या उनके अभाव में भ्राता परम्परानुसार जिसके साथ विवाह कर दे, कन्या को चाहिए कि वह उसकी देवतुल्य सेवा करें भले ही वह सर्वगुण रहित हो । बालयौवनवार्धके । पितृभर्तृसुतैर्नाय • रक्षणीयाः प्रयत्नने कलङ्कः स्यात्कुलेऽन्यथा ॥ 164 ॥ कन्या जब बालिका हो तब पिता को; युवावस्था में पति को और वृद्ध होने पर पुत्र को स्त्री की रक्षा करनी चाहिए, यह कर्तव्य है। ऐसा नहीं करने पर कुल में कलङ्क लगता है।" पत्नी कर्तव्यमाह * मनु का वचन है- यस्मै दद्यात्पिता त्वेनां भ्राता वानुमते पितुः । तं शुश्रूषेत जीवन्तं संस्थितं च न लङ्घयेत् ॥ (मनुस्मृति 5, 151 ) इसी प्रकार भागवत में आया है— स्त्रीणां च पतिदेवानां तच्छुश्रूषानुकूलता। तद्बन्धुष्वनुवृत्तिश्च नित्यं तद्व्रतधारणम् ॥ (भागवत 7, 11, 25 ) **मनु का कथन है- बाल्ये पितुर्वशे तिष्ठेत्पाणिग्राहस्य यौवने । पुत्राणां भर्तरि प्रेते न भजेत्स्त्री स्वतन्त्रताम् ॥ (मनु. 5, 148 )
SR No.022242
Book TitleVivek Vilas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreekrushna
PublisherAaryavart Sanskruti Samsthan
Publication Year2014
Total Pages292
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size22 MB
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