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________________ शतपदी भाषांतर. (१७७) मात्र नहि लेवं किंतु जे मुश्केलीए पडिलेही शकाय एबुं वस्त्र होय तेज समजवु. केमके निशीथचूर्णिमा पल्हवि, कोयव, मावारक, नवतक, तथा दढगालि ए पांच वस्त्रो दुप्पडिलेह तरीके लख्यां छे. ___अगर मावारक शब्दे सामान्यपणे वस्त्र मात्रज लेशो तो कुंडलादिकनी माफक सामायिकवंतने कोइ पण वस्त्र लेवू घटशे नहि, पण तेम तो छे नहि. केमके सामायिकवाळा पण अनुज्ञा मागी जोइतुं वस्त्र लइ शके छे. . वळी चूर्णिमां पाठांतरें प्रावारकादि शब्द छे सां प्रावार शब्दे उत्तरसाडी लेशो तो आदिशब्दे पहेरण- बस्त्र मूकबुं पडशे. परंतु प्रावारक शब्दे दुप्पडिलेह वस्त्रनी व्याख्या करीये तो चूर्णिमां प्रा. वारक वगेरा पांच प्रकारना दुप्पपडिलेह वस्त्र कहेल होवाथी आदि शब्द पण घटी शके छे. . वळी तमे श्रावकने देश सामायिक करतां पण उत्तरवस्त्र निषेधो छो तो पोते सर्वसामायिक कर्या छतां ते कां राखो छो? तेमज प्रावारक शब्दे जो उत्तरवस्त्रज लेशो तो कुंडलादिना मुजब श्राविकाए पण सामायिकमां ते ऊतार, पडशे. कारण के एम तो क्या कहेलं नथी के "श्रावके भावारक ऊतार, पण श्राविकाए नहि ऊतारवं." माटे पावारक शब्दे दुप्पडिलेह वस्त्रनीज व्याख्या करवी जोइये केमके ते श्रावक श्राविका ए बन्नेमा सरखी रीते घटी शके छे. (पचरवाण.) वळी चूर्णिना पाठमां पचखाणनी वात जो के खुल्ली नथी जणावी, तोपण विधिवादे तथा चरितानुवादे श्रावक पचखाण करवानो अधिकारी देखातो होवाथी, तथा चूर्णिमां पण आवश्यक शब्दे प्रस्तावना करतां छए आवश्यक प्रस्तुत थयाथी श्रावके प
SR No.022231
Book TitleShatpadi Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendrasinhsuri
PublisherRavji Devraj Shravak
Publication Year1895
Total Pages248
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size14 MB
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