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________________ ( १७६ ) शतपदी भाषांतर. आगममां वीजा पण घणा स्थळे वा शब्द समुच्चयार्थी प्रसि द्ध छे. जेमके छए व्रतना उच्चारमां आवे छे के “ सूक्ष वा बादर, त्रस वा स्थावर. " इहां वापरेलो वा शब्द समुच्चर्यार्थीज छे. बळी ए छठी कलम पेटे ए विचारवानुं छे के ए कलममां आगल बतावेल विधिनोज अतिदेश करवामां आव्यो छे. अने आगल बतावेल विधिमा तो सामायिक तथा आवश्यक ए बन्नेनी भेगी एकज विधिवर्णवी छे, जूदी जूदी विधि कहीं नथी. त्यारे वा शब्द विकल्पार्थी गणिये तो अतिदेशवडे जूदी विधि कइ आवे. माटे इहां वा शब्द विकल्पार्थी घटेज नहि. ( पडिकमणुं ते शुं . ) कलम नवमीमां " ऋद्धिपात्रश्रावक सामायिक करी प्रतिक्रांत थइ वांदीने भणे" एम लखेल होवाथी केटलाक बोले छे के इहां प्रतिक्रांत शब्द होवाथी " वंदित्तु" सूत्रवडे पडिकमणुं कर साबित थाय छे. पण ए कथन पण अयुक्त छे. केमके चूर्णिकारे पहेलां साधारण श्रावकने आसरी जे पडिकमणुं लख्युं छे तेज इहां ऋद्धिपात्र माटे पण घटे. हवे साधारण श्रावकना माटे एम लख्युं छे जे "आलोइने वांदे'' (एटले के इरियावदीथी आलोवीने वांदे ) एथी इहां प्रतिक्रांत शब्दनी पण एवीज व्याख्या करवी के इरियावही पडिकमे. आ अर्थ अमारी मतिकल्पनाएं करीये छीएम पण नथी, केमके अभयदेवसूरिए पंचाशकनी टीकामां ए बाबत एवोज अर्थ कर्यो छे. ( प्रावारक शब्दनो अर्थ. ) कलम १० मीमां सामायिकमां कुंडलादिकना साथे मावारक पण ऊतारवानुं लख्युं छे त्यां प्रावारक शब्दे . सामान्यपणे वस्त्र
SR No.022231
Book TitleShatpadi Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendrasinhsuri
PublisherRavji Devraj Shravak
Publication Year1895
Total Pages248
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size14 MB
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